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क्या उसके लिए पानी की उन बोतलों से पीना जायज़ है जो उसने मस्जिद के लिए दान की हैंॽ

13-12-2024

प्रश्न 220991

उन चीज़ों के उपयोग करने का क्या हुक्म है जो दान के रूप में दी गई हैंॽ मैंने मस्जिद के लिए कुछ इत्र और पानी की बोतलें दान की हैं, और समय-समय पर मस्जिद में उस इत्र और उस पानी का उपयोग करता हूँ। तो इस बारे में इस्लामी शरीयत का दृष्टिकोण क्या हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

कोई भी वक़्फ़ या अनुदान, जो किसी मस्जिद – या किसी अन्य के लिए – निर्धारित किया गया है, उसमें वक़्फ़ करने वाले या अनुदान करने वाले की शर्त के अनुसार व्यवहार किया जाएगा।

शैख़ इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

”वक़्फ के रूप में दी गई चीज़ के संबंध में अनिवार्य यह है कि : लोग उसके बारे में वक़्फ़ करने वाले की निर्धारित शर्तों के अनुसार व्यवहार करें।”

”फतावा नूरुन अलद-दर्ब” (16/2) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इसके आधार पर, वक़्फ़ करने वाला, अन्य मुसलमानों की तरह, इस वक़्फ़ से लाभान्वित हो सकता है, लेकिन वह उनसे अधिक लाभ नहीं उठाएगा; चुनाँचे वह उससे ऐसे ही पिएगा जैसे सामान्य लोग पीते हैं, तथा अन्य मुसलमानों की तरह लाभ उठाने के अन्य रूपों से भी लाभ उठा सकता है, जब तक कि उसने इसके अलावा कोई अन्य शर्त नहीं रखी है।

उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु ने मदीना में एक कुँआ वक़्फ़ किया था और उससे वह स्वयं भी अन्य मुसलमानों की तरह पानी पीते थे।

तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 3703) ने उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “कौन है जो रूमा नामी कुँए को खरीदकर अपने डोल (अर्थात अपने पानी पीने के अधिकार) को अन्य मुसलमानों के साथ कर दे, बदले में उसे जन्नत में इससे बेहतर मिलेगाॽ” उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : इसलिए मैंने उसे अपने मूल धन से खरीद लिया।” अलबानी ने ”सहीह अत-तिरमिज़ी” में इसे हसन कहा है।

इब्ने हजर अल हैतमी रहिमहुल्लाह ने कहा :

उसमान रज़ियल्लाहु अन्हु का रूमा के कुँए को वक़्फ़ करने के बारे में यह कहना कि : “उससे मेरा पानी भरना अन्य मुसलमानों के पानी भरने की तरह है।” एक शर्त नहीं है, बल्कि इस बात की सूचना देना है कि वक़्फ़ करने वाला अपने सामान्य वक़्फ़ से लाभान्वित हो सकता है।”

”अल-फतावा अल-फिक़हिय्या अल-कुबरा” (2/275) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इब्ने बत्ताल रहिमहुल्लाह ने कहा :

”जिसने कोई कुँआ वक़्फ़ किया और उसे पानी पिलाने वालों के लिए निर्धारित कर दिया : तो उसके लिए स्वयं उससे पानी पीने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, भले ही उसने वह शर्त न रखी हो। क्योंकि वह भी उन लोगों में शामिल है जिनके लिए पानी वक़्फ़ किया है।”

शर्ह सहीह अल-बुखारी (6/492) से उद्धरण समाप्त हुआ।

बुखारी रहिमहुल्लाह ने अपनी सहीह (4/7)  में कहा :

”जिसने भी अल्लाह के लिए कोई ऊँट या कोई भी चीज वक़्फ़ किया, तो वह उससे लाभ उठा सकता है जिस तरह कि दूसरे लोग उससे लाभ उठाते हैं, भले ही उसने इसकी शर्त न लगाई हो।” उद्धरण समाप्त हुआ।

उसके आधार पर, जिसने मस्जिद के लिए पानी की बोतलें दान की हैं, तो इससे अभिप्राय उस मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वाल लोग हैं। ऐसी स्थिति में अनुदान कर्ता भी नमाज़ पढ़ने वालो में से एक है। इसलिए, उसके लिए भी दूसरों की तरह उस पानी को पीना जायज़ है।

इसी तर इत्र के संबंध में भी कहा जाएगा : यदि उसने इसे इसलिए दान किया है कि नमाज़ पढ़ने वाले उसका उपयोग करें, तो वह भी अन्य नमाज़ियों की तरह इसका उपयोग कर सकता है।

और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखने वाला है।

मस्जिदों के अहकाम सद्क़ात व ख़ैरात (दान) वक़्फ़
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