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मैं एक आध्यात्मिक बीमारी और सामाजिक भय से पीड़ित महिला हूँ। जिस वर्ष में आध्यात्मिक बीमारी से पीड़ित हुई, उसी वर्ष मुझे मानसिक रोग और बाध्यकारी वसवसों का सामना हुआ। मैं एक यूरोपीय देश में रहती हूँ, जहाँ सामाजिक भय का इलाज व्यवहार थेरेपी या दवा से किया जाता है। व्यवहार चिकित्सा या मनोरोग दवाओं के बारे में आपका क्या विचार है? क्या मुझे दूसरी दवा लिए बिना केवल क़ुरआन के ज़रिया इलाज कराना चाहिए? या क्या मेरे लिए कुरआन और मनोरोग चिकित्सा के साथ इलाज कराना आवश्यक हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
हमार लिए यह जानना आवश्यक है कि मानसिक बीमारियाँ अलग-अलग स्तर की होती हैं। मानसिक बीमारियों में से कुछ हलकी होती हैं जिनका व्यवहार चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सलाह के ज़रिया इलाज किया जा सकता है और दवा की कोई आवश्यकता नहीं होती है। उनमें से कुछ बीमारियाँ गंभीर होती हैं, जैसा कि स्किज़ोफ्रेनिया (स्किज़ोफ्रेनिया या सिज़ोफ्रेनिया, एक प्रकार की मानसिक बीमारी जिसमें रोगी अपने व्यक्तित्व के बारे में भ्रमित होकर काल्पनिक दुनिया में खो जाता है) और इसी प्रकार की अन्य मानसिक बीमारियाँ, इसके लिए दवा की आवश्यकता होती है।
अतः मनोवैज्ञानिक डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से परामर्श करना आवश्यक है। क्योंकि वह उन तरीकों को सबसे अधिक जानता है जो उसके सोचने के तरीके को बदलने और विकारों से छुटकारा पाने के लिए अपनाए जा सकते हैं। तथा वह इस संबंध में कुछ प्रभावी दवाओं के साथ आपकी मदद कर सकता है। इसलिए उसके पास जाने में संकोच न करें, क्योंकि वसवसो (बुरे विचारों) की गंभीर जटिलताएं होती हैं। इसलिए आपको बहुत देर होने से पहले इस समस्या से निपटना चाहिए।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हाल ही में कुछ वैज्ञानिक अध्ययन हुए हैं, जो इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सामाजिक भय के मामले में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) और मनोवैज्ञानिक के साथ संवाद (सत्र), अकेले दवाओं की तुलना में बहुत महत्वपूर्ण और अधिक फायदेमंद हैं।
अधिक जानकारी के लिए यह लिंक देखें :
जहाँ तक बाध्यकारी वसवसों (बुरे विचारों) का संबंध है, विशेष रूप से उसके उन्नत चरणों में : इसके लिए दोनों चीजों के संयोजन की आवश्यकता होती है : एक विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में व्यवहार मनोचिकित्सा, और कुछ सुरक्षित दवाओं का उपयोग करना।
लाभ के लिए देखें : https://bit.ly/3cC6rX2
दूसरा :
अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुरआन का आत्माओं पर, उन्हें शिष्ट करने और सुधारने में, तथा उनका इलाज करने में भी, गहरा प्रभाव बनाया है, जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है :
قل هو للذين آمنوا هدى وشفاء فصلت : 44
“आप कह दीजिए : वह उन लोगों के लिए जो ईमान लाए, मार्गदर्शन और आरोग्य है।” [सूरत फुस्सिलत : ४४]
तथा अल्लाह तआला का फरमान है :
وننزل من القرآن ما هو شفاء ورحمة للمؤمنين الإسراء : 82
“और हम क़ुरआन में से जो उतारते हैं, वह ईमान वालों के लिए शिफ़ा (आरोग्य) तथा दया है।” [सूरतुल इस्रा : 82]।
विशेष रूप से सूरतुल बक़रह, जिसके पढ़ने से शैतान भागता है। इसलिए हमें इसके पढ़ने और मुसलमान की रक्षा करने के बारे में वर्णित अज़कार (दुआओं) को पढ़ने का इच्छुक होना चाहिए।
तथा दवा का उपयोग करने में कोई आपत्ति नहीं है यदि डॉक्टर इसका उपयोग करने की सलाह देते है, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, उसके साथ ही साथ क़ुरआन के ज़रिया इलाज जारी रखना चाहिए। क्योंकि दोनों में अच्छाई है।
अंत में :
आपको चाहिए कि जीवन को सकारात्मक, उज्ज्वल और अच्छे दृष्टिकोण से देखें, अल्लाह ताआला के बारे में अच्छा गुमान (सकारात्मक सोच) रखें, अपने और अल्लाह ताआला के बीच मामलात को ठीक रखें, सर्वशक्तिमान अल्लाह से आग्रह के साथ दुआ करती रहें कि वह आपके संकट और आपकी चिंताओं को दूर कर दे। अल्लाह की दया से निराश मत हों, उस पर भरोसा रखें और इस बात से सुनिश्चित रहें कि वह आपके साथ है और वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा। क्योंकि अल्लाह तआला अपने बंदे के साथ वैसा ही है जैसा उसका बंदा उसके बारे में सोचता है। इन वसवसों के साथ बहना बंद करें और उनसे दूर हो जाएँ। क्योंकि यह उनसे ठीक होने का एक बड़ा और महत्वपूर्ण कारण है।
अल्लाह आपको तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) प्रदान करे और आपको पूर्ण आरोग्य और स्वास्थ्य की नेमत से सम्मानित करे।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।