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मेरे दादा - अल्लाह सर्वशक्तिमान उनपर अपार दया करे - की मृत्यु हो गई, तो बीमा और पेंशन विभाग ने उन्हें मृत्यु अनुदान प्रदान किया जिसे हमारे देश में (खारिजा) कहा जाता है। प्रश्न यह है कि : क्या इस अनुदान को मृतक संपत्ति समझा जाएगा जिसे उसके वारिस बेटे विरासत में पाएंगेॽ अथवा वह पूरे का पूरा उसकी पत्नी को दे दिया जाएगाॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
हमें – प्रश्नकर्ता के देश में - मृत्यु अनुदान या मृत्यु मुआवज़े के संबंध में जो जानकारी प्राप्त हुई है वह यह है कि यह अनुदान उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्हें मृतक ने अपने जीवन में नियुक्त किया है। यदि उसने किसी को नियुक्त नहीं किया है, तो बीमा कंपनी उसे पत्नी (विधवा) को भुगतान करेगी, अगर वह नहीं है तो नाबालिग बेटों और अविवाहित बेटियों को, अन्यथा माता पिता को...अंत तक, इसके विवरण को जानने के लिए बीमा कंपनी से संपर्क करना चाहिए।
इस अनुदान की राशि: उस महीने का वेतन जिसमें उसकी मृत्यु हुई और उसके बाद के दो महीने का वेतन होती है, या अगर आदमी पेंशन पर है तो वह राशि उसकी मृत्यु के महीने और उसके बाद के दो महीने के पेंशन की मात्रा होती है।
चूंकि यह मुआवजा मृतक के कारण आया है, और वह यह कि वह एक कर्मचारी था, और उसके वेतन का एक हिस्सा बीमा कंपनी के लिए काट लिया जाता था, अतः यह विरासत हो जाएगा और सभी उत्तराधिकारियों (वारिसों) पर आवंटित किया जाएगा, और बीमा कंपनी के प्रणाली को नहीं देखा जाएगा, क्योंकि वह वास्तव में उसकी ओर से प्रदान किया गया अनुदान नहीं है।
अगर हम मान लेते हैं कि यह मृत्यु अनुदान : उस पैसे में से नहीं है जो कर्मचारी के वेतन से कटौती की जाती है, बल्कि यह उसके " कार्यात्मक सेवा" के लिए एक "बोनस" के रूप में है; तो यह भी उसके कार्य और उसके प्रयास के निष्कर्षों में से; अतः उसे उस चीज़ के साथ जोड़ा जाएगा जिसे उसने अपने जीवन में कमाया (प्राप्त) किया है, और इसका उससे वारिस हुआ जाएगा (अर्थात वह मृतक संपत्ति में शामिल होगा।)
तथा ''अल-मौसूअतुल फ़िक़्हिय्या'' (11/208) में है कि : ''शाफेइय्या ने स्पष्ट रूप से बयान किया है कि मृतक संपत्ति में से वह धन भी है जो उसकी मृत्यु के बाद उसके स्वामित्व में आया है, किसी ऐसे कारण से जो उसके जीवन में उसकी ओर से था, जैसे कि कोई शिकार उस जाल में फंस गया जिसे उसने अपने जीवन में लगाया था। क्योंकि उसका शिकार करने के लिए जाल लगाना स्वामित्व का कारण है, और जैसे कि यदि वह शराब छोड़कर कर मर गया जो उसकी मृत्यु के बाद सिर्का बन गयी।'' समाप्त हुआ।
तथा देखें : "असनल मतालिब" (3/3), "तोहफतुल मुहताज'' (6/382)।
कर्मचारी के लिए अनिवार्य है यदि वह लाभार्थियों को निर्धारित कर रहा है कि वह सभी वारिसों का उल्लेख करे, तथा वह अपने वारिसों को वसीयत कर दे कि मुआवजे की राशि सभी वारिसों के लिए होगी। क्योंकि हो सकता है कि कोई नया वारिस निकल आए जो लिखे गए वारिसों के अलावा हो, या कोई वारिस मर जाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।