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क्या गर्भवती महिला के लिए हज्ज व उम्रा के मनासिक की अदायगी करना जाइज़ है ॽ और क्या गर्भ की अवधि का (उदाहरण के तौर पर उसका चौथे महीने में होना आठवें महीने के अनुपात में) इस पर कोई प्रभाव है ॽ क्योंकि इस बात की संभावना है कि महिला अपने गर्भ को गिरा दे या भीड़-भाड़ के कारण बीमार हो जाये।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
1- गर्भवती महिला के हज्ज के लिए जाने में कोई रूकावट नहीं है,और गर्भवती महिला पवित्र है उसके लिए नमाज़ और रोज़े की पाबंदी अनिवार्य है और उसकी तलाक़ सुन्नत के अनुसार तलाक़ समझी जायेगी।
2- बल्कि हदीस में प्रमाणित है कि अस्मा बिन्त उमैस रज़ियल्लाहु अन्हा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ हज्ज के लिए निकलीं इस स्थिति में कि वे पूर्ण गर्भवती थीं, यहाँ तक कि उन्हों ने मीक़ात पर ही गर्भ को जन्म दिया।
आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : अबू बक्र की पत्नी अस्मा बिंत उमैस ने पेड़ के पास ही मुहम्मद बिन अबू बक्र को जन्म दिया। तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अबू बक्र को आदेश दिया कि वह उन्हें स्नान करने और तल्बिया कहने को कहें। इसे मुस्ल्मि (हदीस संख्या : 1209) ने रिवायत किया है।
पेड़ के पासः अर्थात ज़ुल-हुलैफा नामी स्थान पर जो मदीना वालों की मीक़ात है।
नववनी ने -उक्त हदीस के फवाइद में – फरमाया :
इस हदीस से पता चला कि : प्रसव और मासिक धर्म वाली महिलाओं का हज्ज या उम्रा का एहराम बाँधना शुद्ध है, और उन दोनों का एहराम के लिए स्नान करना मुस्तहब है,और इसका आदेश दिए जाने पर सर्वसहमति है, किंतु हमारा मत और मालिक, अबू हनीफा और जमहूर का मत यह है कि वह मुसतहब (ऐच्छिक) है, तथा हसन और अह्ले ज़ाहिर ने कहा कि वह अनिवार्य (वाजिब) है।
तथा मासिक धर्म और प्रसव वाली औरतों की ओर से हज्ज के सभी कार्य शुद्ध होंगे,सिवाय तवाफ और उसकी दो रक्अतों के अलवा, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “तुम वही करो जो हज्ज करने वाला करता है सिवाय इसके कि तुम तवाफ न करो।”“शरह मुस्लिम” (8/133)
और यदि महिला ने इस्लाम का हज्ज नहीं किया है तो गर्भ का होना उसके लिए हज्ज के छोड़ने के लिए उज़्र नहीं है, क्योंकि उसके लिए संभव है कि वह भीड़-भाड़ और धक्के की जगहों से दूर रहे, और यदि वह स्वयं जमरात को कंकरी मारने पर सक्षम नहीं है तो वह किसी अन्य को अपनी ओर से कंकरी मारने के लिए प्रतिनिधि बना दे। और यदि वह पैदल चलकर तवाफ और सई नहीं कर सकती है तो वह गाड़ी (व्हील-चेय्र) पर तवाफ और सई करेगी . . .
बहुत से लोग हज्ज करते हैं और वे रास्ते, आवास और हज्ज के कार्यों की अदायगी करने की दृष्टि से बहुत आराम की स्थिति में होते हैं।
3- हाँ, यदि कोई गर्भवती महिला ऐसी है कि उसे किसी विश्वस्त चिकित्सक ने बतलाया है कि उसके हज्ज के लिए निकलने में उसके लिए या उसके भ्रूण के लिए खतरा है क्योंकि वह बीमार है या कमज़ोर है या कोई अन्य कारण है तो उसे उस वर्ष हज्ज की अदायगी से रोक दिया जायेगा, और इस निषेद्ध पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान तर्क है कि “न हानि उठाना जाइज़ है और न ही एक दूसरे को हानि पहुँचाना।” इसे इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2340) ने रिवायत किया है और यह एक हसन हदीस है, इसकी तख्रीज इब्ने रजब की किताब “जामिउल उलूम वल हिकम” (1/302) में देखिए।
4- कुछ चिकित्सकों ने गर्भ के प्राथमिक महीनों में होने और उसके अंतिम महीनों में होने के बीच अंतर किया है, चुनाँचे अंतिम महीनों में उसके ऊपर और उसके भ्रूण के ऊपर खतरा अनुभव किया जाता है जबकि वह उसके अंतिम महीनों में है तो ऐसी स्थिति में उस पर भय और डर महसूस करना बिना भय के कारण के है।