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मैं गर्भवती हूँ और डॉक्टर ने अल्लाह की अनुमति से मेरे गर्भ को स्थापित करने के लिए दैनिक उपयोग के लिए योनि सपोसिटरीज़ (पेसरीज़) निर्धारित की है। मेरा सवाल मेरी शुद्धता (तहारत) के बारे में है, क्योंकि ये सपोसिटरीज़ थोड़ी देर बाद पूरी तरह से बाहर आ जाते हैं और ये अगले सपोसिटरी का समय आने तक बाहर आते रहते हैं। मैं वसवसे का शिकार हो गई हूँ, जिसने मेरी नमाज़ को ख़राब कर दिया है। अब मैं अपने वुज़ू के टूटने के डर के कारण शांति से नमाज़ नहीं पढ़ सकती हूँ। शुरुआत में, इसमें से कुछ भी नहीं निकलता है, कभी-कभी थोड़ा सा निकलता है और फिर बंद हो जाता है, फिर वह दोबारा निकलना शुरू होता है और फिर सपोसिटरी पूरी तरह से बाहर आ जाता है। वह लगभग तीन या चार घंटों तक अधिकता के साथ निकलता रहता है।
क्या मेरा हुक्म इस्तिहाज़ा (मासिक धर्म के अलावा अनियमित रक्तस्राव) वाली औरत का हुक्म है कि मैं प्रत्येक नमाज़ के लिए वुज़ू करूँगी और किसी चीज़ की परवाह नहीं करूँगी, भले ही जब मैं उसे लगाती हूँ तो उसके तुरंत बाद कुछ भी नहीं निकलता है, और कभी उसके बाद थोड़ा सा रुक-रुक कर निकलता हैॽ शुद्धता की दृष्टि से उसका क्या हुक्म है, अगर वह उसी तरह बाहर निकलता है, पीले या भूरे रंग के साथ परिवर्तित नहीं होता हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सर्व प्रथम :
इस मामले में कुछ भी ऐसा नहीं है जो शुद्धता (तहारत) और नमाज़ के बारे में वस्वसे या चिंता का कारण बनता हो। क्योंकि, अल-हम्दुलिल्लाह, इस्लाम का पूरा क़ानून आसान और सरल है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मुझे आसान एकेश्वरवादी धर्म के साथ भेजा गया है।” इसे अहमद ने रिवायत किया है और अलबानी ने “सिलसिलतुल अहादीस अस्सहीहा” (हदीस संख्या : 2924) में सहीह कहा है।
दूसरा :
विद्वानों की बहुमत के अनुसार, गर्भाशय से स्रावित होने वाला द्रव वुज़ू को तोड़ देता है।
जहाँ तक शुद्धता (तहारत) या अशुद्धता के एतिबार से इसके हुक्म का संबंध है, तो विद्वानों के दो विचारों में से सबसे सही राय के अनुसार वह शुद्ध (पवित्र) है। तथा प्रश्न संख्या : (44980) का उत्तर देखें।
ऊपर उल्लेख किए गए सपोसिटरीज़ का मामला : गर्भाशय से स्रावित होने वाले इन द्रव पदार्थों की तरह है। इसलिए उन्हें शुद्ध (पवित्र) माना जाएगा, हालाँकि उनके निकलने पर वुज़ू टूट जाएगा।
तीसरा :
जब ये सपोसिटरीज़ कई घंटों तक निकलते रहते हैं, तथा ये दूसरे सपोसिटरी का समय आने तक निकलते रहते हैं :
तो यदि उसका एक विशिष्ट समय है जिसे आप जानती हैं कि उसके दौरान स्राव पूरी तरह से बंद हो जाता है, और वह तहारत (वुज़ू) और नमाज़ के लिए पर्याप्त है, तो आपको चाहिए कि इस समय में वुज़ू करें और नमाज़ पढ़ें। और यदि वह ऐसी नमाज़ है जो दूसरी नमाज़ के साथ इकट्ठा करके पढ़ी जाती है, तो आप दो नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ेंगी, जैसे कि ज़ुहर को अस्र के साथ, और मग़रिब को इशा के साथ।
लेकिन अगर सपोसिटरी का निकलना बंद होने का कोई विशेष समय नहीं है, बल्कि वह किसी भी समय निकल सकता है और उसका निकलना जारी रह सकता है, तो आपको चाहिए कि प्रत्येक नमाज़ के लिए उसका समय प्रवेश करने के बाद वुज़ू करें और फ़र्ज़ (अनिवार्य) नमाज़ तथा जितनी चाहें नफ़्ल नमाज़ पढ़ें। फिर अगर वुज़ू के बाद कोई चीज़ निकलती है, तो इससे आपको कोई नुक़सान नहीं पहुँचेगा, भले ही वह नमाज़ के दौरान हो।
फिर जब अगली नमाज़ का समय प्रवेश करेगा, तो आप वुज़ू करेंगी और नमाज़ पढ़ेंगी ... और इसी तरह करेंगी।
शैख़ुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्यह रहिमहुल्लाह ने कहा :
“जिस व्यक्ति के लिए नमाज़ पढ़ने के समय भर के लिए अपनी तहारत (वुज़ू) को बरक़रार रखना संभव नहीं है : तो वह वुज़ू करेगा और नमाज़ पढ़ेगा। और नमाज़ के दौरान उससे कोई चीज़ निकलती है, तो उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा और उसकी वजह से उसका वुज़ू नहीं टूटेगा। इस पर इमामों (प्रमुख विद्वानों) की सर्वसहमति है। अधिक से अधिक उसपर यह अनिवार्य है कि वह प्रत्येक नमाज़ के लिए वुज़ू करे।”
“मजमूउल फतावा” (21/221) से उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख़ इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह से पूछा गया :
एक नौवें महीने की गर्भवती महिला जो हर पल मूत्र प्रवाह से पीड़ित है, वह आखिरी महीने के दौरान नमाज़ पढ़ने से रुक गई। क्या इसे नमाज़ का छोड़ना समझा जाएगाॽ और अब उसे क्या करना चाहिएॽ
उन्होंने जवाब दिया :
“उपर्युक्त महिला और उसकी जैसी अन्य महिलाओं के लिए नमाज़ बंद करना जायज़ नहीं है। बल्कि, उसके लिए अनिवार्य है कि अपनी स्थिति के अनुसार नमाज़ पढ़े और इस्तिहाज़ा वाली महिला के समान हर नमाज़ का समय होने पर वुज़ू करे, तथा जितना हो सके वह रुई वगैरह के द्वारा सुरक्षा अपनाए, और नमाज़ को उसके समय पर पढ़े। उसके लिए उस समय की नवाफ़िल को पढ़ना धर्मसंगत है। तथा वह इस्तिहाज़ा वाली महिला के समान दो नमाज़ों; ज़ुहर और अस्र, तथा मग़रिब और इशा को एक साथ पढ़ सकती है। क्योंकि सर्वशक्तिमान अल्लाह का फरमान है :
فَاتَّقُوا اللَّهَ مَا اسْتَطَعْتُمْ
التغابن :16
“अतएव अपनी यथाशक्ति अल्लाह से डरते रहो।” (सूरतुत्-तग़ाबुन : 16)
तथा इस महिला पर अनिवार्य है कि वह उन नमाज़ों की क़ज़ा करे, जो उसने छोड़ दी हैं और सर्वशक्तिमान अल्लाह के समक्ष तौबा करे। और वह इस प्रकार कि उसने जो कुछ किया है उसपर पछतावा करे और फिर से ऐसा न करने का संकल्प करे; क्योंकि अल्लाह तआला फरमाता है :
وَتُوبُوا إِلَى اللَّهِ جَمِيعاً أَيُّهَا الْمُؤْمِنُونَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ
النور : 31
"ऐ मोमिनो, तुम सब के सब अल्लाह की ओर तौबा (पश्चाताप) करो ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।" (सूरतुन्नूर : 31)
“मजमूओ फतावा अश-शैख इब्ने बाज़” (10/224) से उद्धरण समाप्त हुआ।
इफ़्ता की स्थायी समिति के विद्वानों से पूछा गया : एक व्यक्ति मूत्र असंयम से ग्रस्त है, जो पेशाब करने के बाद कुछ समय के लिए प्रकट होता है। यदि वह असंयमता की समाप्ति की प्रतीक्षा करता है, तो नमाज़ की जमाअत समाप्त हो जाएगी। इस मामले में क्या हुक्म होगाॽ
उन्होंने उत्तर दिया :
“यदि वह जानता है कि मूत्र की असंयमता समाप्त हो जाएगा : तो उसके लिए जायज़ नहीं है कि वह जमाअत का सवाब प्राप्त करने के लिए उसके होते हुए नमाज़ पढ़े। बल्कि, उसे इसके समाप्त होने तक इंतज़ार करना चाहिए, उसके बाद वह इस्तिंजा करे और वुज़ू करे और फिर अपनी नमाज़ पढ़े, भले ही जमाअत के साथ उसकी नमाज़ छूट जाए।
उसे (नमाज़ का) समय प्रवेश करने के बाद इस्तिंजा और वुज़ू करने में जल्दी करनी चाहिए, इस उम्मीद में कि वह जमाअत के साथ नमाज़ में शामिल हो सके।
और अल्लाह ही तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) प्रदान करने वाला है तथा अल्लाह हमारे नबी मुहम्मद और उनके परिवार और साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।
शैक्षणिक अनुसंधान एवं इफ्ता की स्थायी समिति
अब्दुल्लाह बिन क़ऊद .. अब्दुर-रज़्ज़ाक अल-अफ़ीफ़ी.. अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा अल-लजनह अद-दाईमह” (5/448).
शैख़ मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :
“जो व्यक्ति मूत्र असंयम से पीड़ित है, उसकी दो स्थितियाँ हैं :
पहली स्थिति : यदि वह असंयम उसके साथ निरंतर है और बंद नहीं होता है, चुनाँचे जब भी मूत्राशय में कुछ इकट्ठा होता है, तो वह बाहर आ जाता है : तो इस मामले में वह समय प्रवश करने पर वुज़ू करेगा और अपने गुप्तांग पर कोई चीज़ रखकर संरक्षण करेगा, फिर वह नमाज़ पढ़ेगा और कोई चीज़ निकलती है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
दूसरी स्थिति : यदि वह उसके पेशाब करने के बाद रुक जाता है, भले ही वह दस या पंद्रह मिनट के बाद हो : तो इस स्थिति में वह उसके रुकने तक इंतजार करेगा, फिर वुज़ू करेगा और नमाज़ पढ़ेगा, भले ही उसकी जमाअत के साथ नमाज़ छूट जाए।”
“अस-इलतुल बाबिल मफ़तूह” (प्रश्न संख्या : 7, बैठक संख्या : 67) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।