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क्या स्वर्ग में अल्लाह का अपने बंदों के लिए प्यार समान होगा और क्या स्वर्ग वाले लोग, उच्च सदनों के लोगों से जलन महसूस करेंगेॽ

23-03-2020

प्रश्न 316194

यह सवाल कई हफ्तों से मेरे दिमाग में आ रहा है और मुझे चिंतित कर रखा है। मुझे नहीं पता कि मुझे इसे अनदेखा करना चाहिए। मुझे इंटरनेट पर खोज करने से इसका कोई जवाब नहीं मिला। सवाल यह है कि : क्या स्वर्ग के लोगों के लिए अल्लाह का प्यार बराबर होगाॽ या कि वह स्वर्ग के लोगों के घरों की तरह अलग-अलग होगाॽ क्या स्वर्ग के कम स्थिति वाले लोग, उच्चतम स्थिति वाले लोगों से जलन महसूस करेंगेॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

इस दुनिया में विश्वासियों से अल्लाह का प्रेम, उनकी आज्ञाकारिता और अधीनता और अल्लाह के लिए खर्च करने के अनुसार, अलग-अलग है, जैसाकि हदीस में आया है : “अल्लाह के निकट सबसे प्रिय बंदा वह है जो उसके परिवार के लिए सबसे अधिक लाभदायक हो।” इसे अब्दुल्लाह बिन अहमद ने “ज़वाइद अज़-ज़ुह्द” में उल्लेख किया है और अलबानी ने “सहीहुल जामे’’ में इसे हसन कहा है।

तथा एक अन्य हदीस में है : “अल्लाह के निकट सबसे प्यारा आदमी वह है, जो लोगों को सबसे अधिक लाभ पहुँचाने वाला है। तथा अल्लाह महिमावान के निकट सबसे प्यारा काम किसी मुसलमान को खुशी प्रदान करना है; आप उससे किसी संकट को दूर कर दें, या उसके क़र्ज का भुगतान कर दें, या उससे भूख को मिटा दें। मेरा अपने भाई के साथ किसी ज़रूरत के लिए जाना, मेरे लिए इस बात से अधिक पसंदीदा (प्यारा) है कि मैं इस मस्जिद – यानी मदीना की मस्जिद - में एक महीना एतिकाफ़ करूँ। और जो कोई अपने गुस्से को पी गया - जबकि यदि वह उस पर कार्य करना चाहता तो कर सकता था – तो अल्लाह प्रलय के दिन उसके दिल को संतोष से भर देगा। और जो कोई भी अपने भाई के साथ उसकी किसी ज़रूरत के लिया निकला यहाँ तक कि उसे पूरी कर दिया, तो अल्लाह उसके पैरों को उस दिन सुदृढ़ रखेगा जिस दिन पैर फिसल जाएँगे।” इसे इब्ने अबिद-दुन्या ने “क़ज़ाउल हवाइज” में रिवायत किया है और अलबानी ने “सहीहुल-जामे” में इसे ‘हसन हदीस’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

जहाँ तक स्वर्ग की बात है तो हम उसके संबंध में कहते हैं : अल्लाह सबसे अच्छा जानता है। क्योंकि परोक्ष के मामले (ग़ैबी मसाइल) - जिनमें अल्लाह के अस्मा व सिफ़ात (नाम और गुण) भी शामिल हैं – के बारे में व्यक्तिगत राय के आधार पर कोई बात नहीं कही जा सकती। बल्कि उनके बारे में चर्चा केवल उस पर निर्भर करता है जो शरीयत के नुसूस (क़ुरआन व हदीस) में आया है।

दूसरी बात :

स्वर्ग के लोग अलग-अलग दर्जों और श्रेणियों के होंगे, जैसा कि बहुत से धार्मिक ग्रंथों (शरीयत के नुसूस) से पता चलता है। जिनमें से एक वह हदीस है जिसे बुखारी (हदीस संख्या : 3256) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2831) ने अबू सईद अल-खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : "स्वर्ग के लोग अपने से उच्च स्थानों के लोगों को अपने ऊपर उसी तरह देखेंगे, जैसे वे पूर्व या पश्चिम में क्षितिज पर (सुबह के समय) बाक़ी रह जाने वाले चमकते सितारे को देखते हैं; यह अंतर उनकी (स्थिति में) एक दूसरे पर श्रेष्ठता के कारण होगा। इस पर लोगों ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, ये पैगंबरों के स्थान हैं जिन्हें उनके अलावा कोई और प्राप्त नहीं कर सकेगा। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “क्यों नहीं, उस अस्तित्व की क़सम! जिसके हाथ में मेरी जान है। ये उन लोगों के लिए हैं जो अल्लाह पर ईमान लाए और रसूलों को सच्चा माना।”

मुस्लिम (हदीस संख्या : 189) ने मुगीरा बिन शोअबा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णन किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने पालनहार से पूछा : 'स्वर्ग के लोगों में सबसे कम दर्जा वाला कौन होगाॽ अल्लाह ने फरमाया : वह एक ऐसा व्यक्ति है जो स्वर्ग के लोगों के स्वर्ग में प्रवेश करने के बाद आएगा। उससे कहा जाएगा : स्वर्ग में प्रवेश करो। वह कहेगा : "ऐ मेरे पालनहार! कैसे प्रवेश करूँ, जबकि लोग अपने स्थान ग्रहण कर चुके हैंॽ तो उससे कहा जाएगा : “क्या तू इस बात पर खुश है कि तुझे दुनिया के राजाओं में से किसी राजा के समान राज्य मिल जाएॽ वह कहेगा : “मैं खुश हूँ, ऐ मेरे पालनहार! अल्लाह कहेगा : जा, तुझे उतना राज्य दिया गया, तथा उतना ही और, तथा उतना ही और, तथा उतना ही और, तथा उतना ही और। पाँचवीं बार में वह कहेगा : “मैं प्रसन्न हूँ, ऐ मेरे पालनहार! अल्लाह तआला फरमाएगा : तू ये भी ले और उसी के समान दस गुना और भी, तथा तेरे लिए वह कुछ है जो तेरा दिल चाहे और तेरी आँख को भाए। वह कहेगा : ऐ मेरे पालनहार! मैं प्रसन्न हो गया।”

जहाँ तक ईर्ष्या द्वेष, कपट, डाह और जलन का संबंध है, तो ये सब उन चीजों में से हैं जिन्हें अल्लाह स्वर्ग के लोगों के दिलों से निकाल देगा। इसलिए उसमें ईर्ष्या द्वेष, डाह, कपट, घृणा और वैर नहीं होगा।

अल्लाह तआला ने फरमाया :

 إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ * ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ آمِنِينَ * وَنَزَعْنَا مَا فِي صُدُورِهِمْ مِنْ غِلٍّ إِخْوَانًا عَلَى سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ * لَا يَمَسُّهُمْ فِيهَا نَصَبٌ وَمَا هُمْ مِنْهَا بِمُخْرَجِينَ

الحجر : 45 – 48 

“निःसंदेह अल्लाह से डरने वाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे। (उनसे कहा जाएगा) इनमें सुरक्षित शांति के साथ प्रवेश करो। उनके सीनों में जो द्वेष होगा उसे हम निकाल देंगे, वे भाई-भाई बनकर आमने-सामने तख़्तों पर (बैठे) होंगे। उन्हें वहाँ न तो कोई थकान और तकलीफ़ छुएगी और न वे वहाँ से कभी निकाले ही जाएँगे।” [सूरतुल-हिज्र : 45-48]।

अल्लामा अस-सअदी रहिमहुल्लाह कहते हैं :

“और निकाल देंगे हम उनके सीनों के द्वेष” चुनाँचे उनके दिल हर तरह के द्वेष और ईर्ष्या से सुरक्षित, परस्पर विशुद्ध संबंध रखने वाले और आपस में प्रेम करने वाले होंगे।

"वे आपस में भाई-भाई बनकर तख़्तों पर आमने-सामने बैठे होंगे।” यह उनके आपस में भेंट-मुलाक़ात करने और एक साथ इकट्ठा होने, तथा अपने बीच अच्छे शिष्टाचार को अपनाने को इंगित करता है, क्योंकि वे एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे, कोई भी किसी की ओर अपनी पीठ नहीं करेगा, वे बिछौनों, मोती और विभिन्न प्रकार के रत्नों से सजे उन तख़्तों पर बैठेंगे।

“उन्हें वहाँ कोई थकान नहीं छुएगी” उन्हें वहाँ दृश्य या अदृश्य रूप से कोई थकान नहीं पहुँचेगी, क्योंकि अल्लाह उन्हें नए सिरे से बनाएगा और उन्हें एक संपूर्ण जीवन प्रदान करेगा जो किसी भी विपत्ति को स्वीकार नहीं करेगा।”

“तफसीर अस-सअदी” (पृष्ठ 431) से उद्धरण समाप्त हुआ।

तथा अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फरमाया :

 وَسَقَاهُمْ رَبُّهُمْ شَرَابًا طَهُورًا

الإنسان : 21

 “और उनका पालनहार उन्हें पवित्र (शुद्ध) पेय पिलाएगा।” [सूरतुल इन्सान : २१]।

इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह ने कहा : अर्थात् : वह उनके हृदय को ईर्ष्या, कपट, डाह, दोष और अन्य सभी बुरी नैतिकता से शुद्ध कर देगा। जैसा कि हमे अमीरुल मूमिनीन अली बिन अबी तालिब रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णन किया गया है कि उन्होंने कहा : जब स्वर्ग के लोग स्वर्ग के द्वार पर पहुँचेंगे, तो उन्हें वहाँ दो सोते (चश्मे) मिलेंगे। तो ऐसा होगा जैसे वे उसके लिए प्रेरित किए गए हों। फिर वे उनमें से एक से पिएंगे, तो अल्लाह उनके दिलों में जो कुछ भी दोष होगा उसे निकाल देगा। फिर वे दूसरे से स्नान करेंगे, तो उन पर आनंद की चमक दिखाई देगी।”

“तफ़सीर इब्ने कसीर” (8/293) से उद्धरण समाप्त हुआ।

बुखारी (हदीस संख्या : 3006) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 5063) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “स्वर्ग में प्रवेश करने वाले पहले समूह का चेहरा पूर्णिमा की रात के चंद्रमा की तरह दिखाई देगा। वे स्वर्ग में न थूकेंगे, न नाक से रेंट निकालेंगे और न ही शौच करेंगे। उनके बर्तन सोने के होंगे और उनके कंघे सोने और चाँदी के होंगे, उनके ऊददानों में ऊद (अलसी की लकड़ी) सुलगता होगा और उनके पसीने कस्तूरी जैसे होंगे। उनमें से प्रत्येक की दो पत्नियाँ होंगी, जिनकी पिंडलियों की हड्डी का मज्जा उनकी सुंदरता के कारण मांस के ऊपर से दिखाई देगा। उनके बीच कोई असहमति या आपस में द्वेष नहीं होगा, उनका दिल एक जैसा होगा, वे सुबह और शाम अल्लाह की महिमा करेंगे।”

महत्वपूर्ण बात यह है कि बंदा पहले स्वर्ग में प्रवेश करने, फिर उसके सर्वोच्च स्थानों को प्राप्त करने के लिए भरपूर परिश्रम करे।

अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फरमाया :

 فَمَنْ زُحْزِحَ عَنِ النَّارِ وَأُدْخِلَ الْجَنَّةَ فَقَدْ فَازَ

آل عمران :185 

"अतः जो आग (जहन्नम) से हटाकर जन्नत में दाख़िल कर दिया गया, तो यक़ीनन वह सफल हो गया।” [सूरत आल-इमरान : 185]।

अल्लाह हमें और आप को जन्नत नसीब करे और जहन्नम से बचाए।

और अल्लाह ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्वर्ग और नरक
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