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एहराम की हालत में पुरूष और स्त्री के लिए मोज़े पहनना

02-11-2011

प्रश्न 49034

मैं ने उम्रा का एहराम बांधा था और मौसम ठंडा था तो मैं ने मोज़े पहन लिए, तो मेरे ऊपर क्या अनिवार्य है ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

एहराम बांधे हुए आदमी के लिए मोज़े पहनना जाइज़ नहीं है। रही बात स्त्री के लिए तो उसके लिए ऐसा करना जाइज़ है।

शैख इब्न उसैमीन रहिमहुल्लाह ने अश्शरहुल मुम्ते (7/154) में फरमाया : मसअला : क्या (एहराम बाँधी हुई) स्त्री के ऊपर मोज़ा पहनना हराम है ॽ

उत्तर : नहीं। मोज़े पहनना पुरूष पर हराम है। (अंत)

यदि मोहरिम आदमी को उसके पहनने की आवश्यकता पड़ जाती है, तो उसके लिए उसे पहनना जाइज़ है और उसके ऊपर फिद्या अनिवार्य है, और वह या तो एक बकरी क़ुर्बानी करना, या छः मिस्कीनों को खाना खिलाना, या तीन दिन रोज़े रखना है, इन तीनों चीज़ों में से वह जो चाहे करे।

इफ्ता की स्थायी समिति से प्रश्न किया गया कि दोनों पैरों में मोज़े पहनने और उनमें हज्ज के अंदर तवाफ क़ुदूम और उम्रा में उम्रा का तवाफ करने का क्या हुक्म है ॽ

उत्तर :

पुरूष के लिए मोज़े पहनना जाइज़ नहीं है जबकि वह हज्ज या उम्रा का एहराम बांधे हुए हो, यदि उसे बीमारी इत्यादि के कारण मोज़े पहनने की आवश्यकता पड़ जाए तो पहनना जाइज़ है और उसके ऊपर फिद्या अनिवार्य है, और वह तीन दिन रोज़े खना, छः मिस्कीनों को खाना खिलाना हर मिस्कीन को आधा साअ खजूर इत्यादि के दर से, या एक बकरी क़ुर्बानी करना है।

इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति का फतावा (11/183).

एहराम की हालत में निषिध काम
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