हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हम आपको सलाह देते हैं कि उन्हें क़ुरआन करीम और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सहीह सुन्नत, तथा उसमें मौजूद इस्लाम की नैतिकता जैसे- सदाचार व सत्कर्म, रिश्तेदारी निभाने, सत्यता (ईमानदारी), विश्वसनीयता आदि की शिक्षा दें, उनकी देखभाल करते रहें कि वे जमाअत के साथ नमाज़ों की पाबंदी करते हैं, तथा खाने, पीने और बात करने वगैरह में इस्लामी शिष्टाचार को अपनाते हैं। यदि वे इन अच्छे व्यवहारों, नैतिकता और महान शिष्टाचार पर बड़े और जवान होते हैं तो उन्हें मार्गदर्शन प्राप्त होगा और अल्लाह की अनुमति से वे धर्म पर सुदृढ़ और स्थिर बने रहेंगे, और अच्छी तरह फूले फलेंगे। चुनाँचे वे अपने आपको लाभ पहुँचाएं गे और अपनी उम्मत को भी लाभ पहुँचाएंगे। और इसमें आप को महान पुण्य मिलेगा।