हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
आपके ऊपर अनिवार्य है कि जुआ से तुरंत रुक जाएं और उसके साथियों, दुकानों और उपकरणों को त्याग दें, तथा जो कुछ हो चुका उस पर लज्जित हों, इस बात का दृढ़ संकल्प लें कि दुबारा ऐसा नहीं करेंगे और सद्क़ा (दान) करें। क्योंकि अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने रिवायत किया है कि अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ''जिस व्यक्ति ने क़सम खाई और अपनी क़सम में कहाः वल्लाति वल-उज़्ज़ा (अर्थात लात और उज़्ज़ा की क़सम) तो उसे 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना चाहिए। तथा जिस व्यक्ति ने अपने साथी से कहाः आओ मैं आपके साथ जुआ खेलता हूँ, तो उसे सद्क़ा (दान) करना चाहिए।''
अल्लामा नववी कहते हैं: विद्वानों का कहना है किः इस अवज्ञा की बात करने से संबंधित उसकी गलती के कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित) के लिए उसे सद्क़ा करने का आदेश दिया गया है। तथा इमाम ख़त्ताबी का कहना है किः इसका अर्थ यह है कि उसे उसी मात्रा में सद्क़ा करना चाहिए जितने का वह जुआ खेलने के लिए कहा था।
अल्लामा नववी कहते हैं: ठीक बात जो मुहक़्क़ेक़ीन (अनुसंधानकर्ता) विद्वानों का मत है – और यही हदीस से प्रत्यक्ष होता है – यह है कि वह उसी मात्रा के साथ विशिष्ट नहीं है, बल्कि वह उतनी मात्रा में सदक़ा करेगा जितना उसके लिए आसान है जिसपर सद्क़ा की संज्ञा बोली जाती है। इसकी पुष्टि उस रिवायत से होती है जिसमें यह वर्णित है किः ''उसे चाहिए कि कुछ दान करे।''