हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
लिए श्रेष्ठ यह है कि वह विशेष इबादतों, जैसे कि ज़िक्र, नमाज़, क़ुरआन का पाठ और इसी के समान अन्य चीज़ों में व्यस्त रहे, किन्तु यदि किसी को शिक्षा देने या शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता पड़ जाए तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, इसलिए कि यह भी अल्लाह तआला के ज़िक्र में आता है।
फज़ीलतुश्शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह