रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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पति की मृत्यु पर सोग मनाने वाली महिला किन चीज़ों से बचेगीॽ

प्रश्न

मेरे पति की मृत्यु हो गई। अब मुझे क्या करना चाहिएॽ ऐसी कौन-सी चीजें हैं जिनसे मुझे बचना चाहिएॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हदीस में यह वर्णन किया गया है कि पति की मृत्यु पर सोग मनाने वाली महिला को किन चीज़ों से बचना चाहिए, और वे पाँच चीज़ें हैं जिनका उसे पालन करने की आवश्यकता होती है :

पहली चीज़ : उसे अपने उसी घर में रहना चाहिए, जहाँ वह अपने पति की मृत्यु के समय रह रही थी। वह उसमें अपनी इद्दत की अवधि समाप्त होने तक रहेगी, जो कि चार महीना और दस दिन है। लेकिन यदि वह गर्भवती है, तो ऐसी स्थिति में वह गर्भ को जनने के साथ ही इद्दत से निकल जाएगी (अर्थात् उसकी इद्दत समाप्त हो जाएगी), जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है :

وَأُوْلَٰتُ ٱلۡأَحۡمَالِ أَجَلُهُنَّ أَن يَضَعۡنَ حَمۡلَهُنَّۚ     [سورة الطلاق : 4].

“और गर्भवती स्त्रियों की इद्दत (अवधि) यह है कि वे अपना गर्भ जन दें।” [सूरतुत-तलाक़ : 4]

तथा वह उस घर से बाहर नहीं निकलेगी, सिवाय इसके कि कोई ज़रूरत या आवश्यकता हो, जैसे कि बीमार होने पर अस्पताल जाना और बाज़ार से अपनी ज़रूरत की चीजें जैसे खाना आदि खरीदना, अगर उसके पास ऐसा करने वाला कोई नहीं है। इसी तरह यदि वह घर ढह जाता है, तो वह वहाँ से किसी दूसरे घर में स्थानांतरित हो सकती है। या अगर उसके पास कोई नहीं है जो उसका दिल बहलाए और वह अपने ऊपर डर महसूस करती है, तो ऐसी ज़रूरत पड़ने पर वहाँ से बाहर जाने में कोई आपत्ति नहीं है।

दूसरी चीज़ : वह सुंदर कपड़े नहीं पहनेगी, न पीले, न हरे, और न ही कुछ और। बल्कि वह ऐसे कपड़े पहनेगी, जो सुंदर न हों, चाहे वे काले हों या हरे या अन्य। महत्वपूर्ण बात यह है कि वे कपड़े सुंदर न हों। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसी तरह आदेश दिया है।

तीसरी चीज़ : वह सोने, चाँदी, हीरे, मोती और इसी तरह की अन्य चीज़ो से बने गहनों और आभूषणों को पहनने से बचेगी, चाहे वह हार, या कंगन, या अंगूठी और ऐसे ही अन्य चीज़ें हों, जब तक कि उसकी इद्दत (अवधि) समाप्त नहीं हो जाती।

चीथी चीज़ : वह सुगंध (इत्र) उपयोग करने से बचेगी। चुनाँचे वह खुद को बखूर (धूनी) से या किसी अन्य तरह के इत्र के साथ सुगंधित नहीं करेगी। लेकिन जब वह विशिष्ट रूप से अपने मासिक धर्म से शुद्ध हो, तो उस समय वह कुछ धूनी ले सकती है।

पाँचवी चीज़ : वह सुर्मे से बचेगी। चुनाँचे उसके लिए सुर्मा लगाने की अनुमति नहीं है, और न ही चेहरे का ऐसा मेक-अप (सौंदर्य प्रसाधन) करने की जो सुर्मे के अर्थ में है, ऐसा विशेष सौंदर्य प्रसाधन (मेक-अप) जो लोगों को प्रलोभित कर सकता है। रही बात साबुन और पानी के साथ नियमित सौंदर्यीकरण की, तो इसमें कोई हर्ज की बात नहीं है। लेकिन वह सुर्मा जो आँखों को सुंदर बनाता है तथा सुर्मे की तरह अन्य प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन जिनका उपयोग कुछ महिलाएँ अपने चेहरे पर करती हैं, तो वह उसका उपयोग नहीं करेगी।

ये पाँच चीज़ें हैं जिनका महिला के पति की मृत्यु के मामले में ध्यान रखा जाना चाहिए।

लेकिन जहाँ तक उन बातों का संबंध है, जो कुछ आम लोग सोचते और अपने मन से गढ़कर प्रस्तुत करते हैं, जैसे कि पति की मृत्यु पर सोग मनाने वाली महिला किसी से बात नहीं करेगी; वह टेलीफोन पर बात नहीं करेगी; वह सप्ताह में एक बार से अधिक स्नान नहीं करेगी; वह अपने घर में नंगे पाँव नहीं चलेगी; तथा वह चाँद की रोशनी में बाहर नहीं निकलेगी, और इसी तरह के अन्य मिथक (खुराफ़ात), तो इन बातों का कोई आधार नहीं है। बल्कि, वह अपने घर में नंगे पैर या जूते पहनकर चल सकती है, वह घर में अपने जरूरी काम कर सकती है; वह अपना खाना और अपने मेहमानों के लिए खाना बना सकती है, वह अपने घर की छत पर और घर के बगीचे में चाँदनी में चल सकती है, वह जब चाहे स्नान कर सकती है, वह जिससे चाहे ऐसी बात कर सकती है जिसमें को संदेह न हो, वह महिलाओं के साथ तथा अपने मह़्रमों के साथ हाथ मिलाकर सलाम कर सकती है, लेकिन गैर-मह़्रमों के साथ नहीं। अगर उसके पास कोई गैर-मह़्रम मौजूद नहीं है, तो वह अपने सिर से अपना दुपट्टा उतार सकती है। तथा वह अपने कपड़ों या कॉफी में मेंहदी या केसर या इत्र (सुगंध) का उपयोग नहीं करेगी, क्योंकि केसर एक प्रकार का इत्र (सुगंध) है। तथा किसी के लिए उसे शादी का प्रस्ताव (पैग़ाम) देना जायज़ नहीं है, परंतु उसका संकेत देने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन स्पष्ट रूप से शादी का पैग़ाम देने की अनुमति नहीं है। और अल्लाह तआला ही सामर्थ्य प्रदान करने वाला है।

पुस्तक “फ़तावा इस्लामिया” (3/315-316) से उद्धृत शैख़ इब्ने बाज़ का फ़तवा

अधिक जानकारी के लिए फ़ैह़ान अल-मुतैरी की किताब “अल-इमदाद बि-अह़्काम अल-इह़्दाद” और ख़ालिद अल-मुस्लिह़ की पुस्तक “अह़काम अल-इह़्दाद” देखें।

स्रोत: शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद