हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सही दृष्टिकोण यह है कि किसी मुसलमान पर बद्-दुआ करना जायज़ नहीं है, यदि वह उस दुआ के योग्य नहीं है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिसने किसी मुसलमान से कहा : ऐ अल्लाह के दुश्मन! या उसपर बद्-दुआ की, जबकि वह ऐसा नहीं है, तो वह उसपर लौट आएगी।” अतः किसी मुसलमान पर बद्-दुआ करना जायज़ नहीं है, यदि वह पापी या आज्ञापालन के मार्ग से निकल जाने वाला नहीं है, या उस बद्-दुआ के योग्य नहीं है। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसकी तौबा यह है कि वह अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करे और उस मुसलमान से क्षमा याचना करे जिसपर उसने बद्-दुआ की है और उससे माफ़ी माँगे, और अल्लाह उसकी तौबा को स्वीकार करेगा। हदीस का मतलब यह नहीं है कि वह हमेशा के लिए जहन्नम में प्रवेश करेगा; बल्कि यह चेतावनी की हदीसों में से एक है जो एक ऐसे मुसलमान पर बद्-दुआ से मनाही करने के लिए आई है, जो जहन्नम के योग्य नहीं है कि उसपर जहन्नम या इसी तरह की बद्-दुआ की जाए।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
आदरणीय शैख अब्दुल्लाह इब्न जिबरीन रहिमहुल्लाह