हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
सलफ़ (प्रारंभिक पीढ़ियों के विद्वानों) ने थाल के बारे में मतभेद किया है कि : क्या सर्वशक्तिमान अल्लाह ने इसे ईसा अलैहिस्सलाम के साथियों पर उतारा था, या वे डर गए जब अल्लाह ने अपने पैगंबर ईसा अलैहिस्सलाम से कहा :
فَمَنْ يَكْفُرْ بَعْدُ مِنْكُمْ فَإِنِّي أُعَذِّبُهُ عَذَابًا لا أُعَذِّبُهُ أَحَدًا مِنَ الْعَالَمِينَ
“फिर जो उसके बाद तुममें से कुफ़्र (इनकार) करेगा, तो निःसंदेह मैं उसे दंड दूँगा, ऐसा दंड कि संसार वासियों में से किसी को न दूँगा।” इसलिए अल्लाह ने उसे उनपर नहीं उताराॽ
सलफ़ (प्रारंभिक पीढ़ियों के विद्वानों) में से अधिकांश का मत यह है कि अल्लाह ने उसे उनपर उतारा था; क्योंकि सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया : إِنِّي مُنزلُهَا عَلَيْكُمْ “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।” और अल्लाह का वादा सच्चा है, जो ज़रूर पूरा होता है।
यही सलमान अल-फ़ारिसी, अम्मार बिन यासिर, इब्ने अब्बास, इसहाक़ बिन अब्दुल्लाह, वह्ब बिन मुनब्बिह, सईद बिन जुबैर, इकरिमह, क़तादह, अतिय्यह अल-औफी, अबू अब्दुर-रहमान अस-सुलमी, अता बिन अस-साइब और अन्य से वर्णित है।
मुजाहिद और हसन ने कहा : अल्लाह ने इसे उनपर नहीं उतारा था।
इसका कारण यह है कि : जब अल्लाह ने उन्हें थाल के उतारे जाने के बाद उनके कुफ़्र (इनकार) करने के परिणाम से आगाह किया, तो उन्हें डर हुआ कि उनमें से कुछ लोग काफ़िर हो सकते हैं। इसलिए वे थाल उतारने की माँग से दस्तबरदार हो गए। इस दृष्टिकोण के आधार पर, अल्लाह के फरमान : إني منزلها عليكم का मतलब यह होगा : “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।” यदि तुम उसका प्रश्न करो। परंतु वे उससे बाज़ रहे, इसलिए वह उनपर नहीं उतारा गया।
इमाम इब्ने जरीर अत-तबरी रहिमहुल्लाह ने कहा :
“इसके बारे में हमारे निकट सही बात यह कहना है कि : अल्लाह ने उन लोगों पर थाल को उतारा था, जिन्होंने ईसा अलैहिस्सलाम से यह माँग की थी कि वह अपने रब से इसका सवाल करें।
क्योंकि अल्लाह तआला अपना वादा नहीं तोड़ता और उसकी ख़बर में वादाख़िलाफ़ी नहीं पाई जाती है। अल्लाह ने अपनी किताब में अपने नबी ईसा अलैहिस्सलाम के अनुरोध का उत्तर देने के बार में सूचना देते हुए, जब उन्होंने उससे इसके बारे में सवाल किया था, फरमाया : إني منزلها عليكم “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।”, और यह संभव नहीं है कि अल्लाह तआला कहे कि : إني منزلها عليكم “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ”, फिर वह उसे न उतारे; क्योंकि यह उसकी ओर से एक सूचना है और वह उसके ख़िलाफ़ नहीं कर सकता जिसकी वह सूचना देता है। यदि संभव होता कि वह कहे : إني منزلها عليكم “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।”, फिर वह उसे उनपर न उतारे, तो यह भी संभव है कि वह कहे : فمن يكفر بعد منكم فإنّي أعذبه عذابًا لا أعذبه أحدًا من العالمين “फिर जो उसके बाद तुममें से कुफ़्र (इनकार) करेगा, तो निःसंदेह मैं उसे दंड दूँगा, ऐसा दंड कि संसार वासियों में से किसी को न दूँगा।”, फिर उसके बाद उनमें से कोई इनकार करे और वह उसे दंड न दे। इस तरह उसके वादे या उसकी चेतावनी की कोई वास्तविकता और प्रामाणिकता नहीं रह जाएगी। और यह संभव नहीं है कि हमारे पालनहार के बारे में ऐसा कुछ कहा जाए।” संक्षेप के साथ समाप्त हुआ। “तफ़सीर अत-तबरी” (11/232)।
इब्ने कसीर रहिमहुल्लाह ने कहा :
“इन सभी आसार से पता चलता है कि ईसा बिन मरयम के समय में अल्लाह की ओर से उनकी प्रार्थना के जवाब में बनी इसराईल पर थाल उतारा गया था। और जैसा कि महान क़ुरआन के इस स्पष्ट संदर्भ से प्रमाणित होता है : قَالَ اللَّهُ إِنِّي مُنزلُهَا عَلَيْكُمْ “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।”...
जबकि कुछ लोगों का कहना है : यह नहीं उतारा गया था। और इस विचार का समर्थन इस तथ्य से हो सकता है कि ईसाइयों को थाल की खबर का पता नहीं है, और न ही यह उनके धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख है। यदि यह वास्तव में उतरा होता, तो अवश्य ही यह उन चीज़ों में से होता जिसको प्रसारित करने के उद्देश्य पर्याप्त होते, और यह उनके शास्त्रों में व्यापक रूप से मोजूद होता, या कम से कम ‘आहाद’ (एकल) रिवायतें ही मौजूद होतीं। और अल्लाह ही बेहतर जानता है।
लेकिन विद्वानों की बहुमत का विचार यह है कि उसे उतारा गया था। इसी को इब्ने जरीर ने अपनाया है। और यही कथन - और अल्लाह सबसे अधिक जानता है - सही है, जैसा कि सलफ़ (प्रारंभिक पीढ़ियों के विद्वानों) और अन्य लोगों की ख़बरों और आसार से संकेत मिलता है।” संक्षेप के साथ समाप्त हुआ।
“तफ़सीर इब्ने कसीर” (3/230-231)।
अतः इसके बारे में सही कथन यह है कि : यह वास्तव में उतरा था, और यही विद्वानों की बहुमत का दृष्टिकोण है, और इसी को इब्नुल-जौज़ी, अस-सम्आनी, अबू जा'फर अन-नह्हास, इब्ने जुज़य, कुर्तुबी, शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्यह, इब्ने आशूर और अश-शौकानी वग़ैरहुम ने अपनाया है।
देखें : “तफ़सीर अल-बग़वी” (3/118), “ज़ादुल-मसीर” (2/462), “मआनिल-क़ुरआन” (2/387), “अत-तसहील” (1/342), “तफ़सीर अल-क़ुर्तुबी” (6/369), “अत-तहरीर वत-तनवीर” (पृष्ठ : 1236), “फत्हुल-क़दीर” (2/136), “अल-जवाब अस-सहीह” (3/127)।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने कहा :
“इसमें अल्लाह की कुछ शक्ति का वर्णन है और यह कि वह महिमावान, सर्वशक्तिमान हर चीज़ में सक्षम है, और यह कि वह महिमावान ऊँचे स्थान पर है, क्योंकि उतारना ऊपर से नीचे की ओर होता है।”
थाल का उतारना और उसे उतारने का अनुरोध करना, यह सब इस बात का प्रमाण है कि वे लोग जानते थे कि उनका रब ऊपर (उच्च स्थान में) है। इसलिए वे अल्लाह को जहमिया और उनके जैसे लोगों से अधिक जानते और पहचानते थे, जिन्होंने अल्लाह के ऊपर होने का इनकार किया। हवारियों ने इसका अनुरोध किया और ईसा अलैहिस्सलाम ने उनके लिए इसे स्पष्ट किया और अल्लाह ने भी इसे स्पष्ट कर दिया। इसीलिए उसने कहा : إِنِّي مُنَزِّلُهَا عَلَيْكُمْ “निःसंदेह मैं उसे तुमपर उतारने वाला हूँ।” इससे पता चला कि हमारे पालनहार को ऊपर से संबोधित किया जाएगा और यह कि वह महिमावान ऊपर है, आसमानों के ऊपर और सभी प्राणियों से ऊपर है और अर्श (सिंहासन) के ऊपर है। वह उसपर क़ायम और बुलंद है, जैसा कि उसकी महिमा और महानता के अनुरूप है, उसकी सृष्टि उसके गुणों में से किसी भी चीज़ के समान नहीं है।'' उद्धरण समाप्त हुआ।
“मजमूओ फतावा इब्ने बाज़” (2/56-57)
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।