रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
हिन्दी

गर्भवती महिला के गर्भावस्था में रहने की सबसे लंबी अवधि

140103

प्रकाशन की तिथि : 28-11-2014

दृश्य : 16306

प्रश्न

गर्भवथी महिला के गर्भावस्था में ठहरने की सबसे लंबी अवधि क्या है? मैं जानना चाहता हूँ कि गर्भ की अधिकतम अवधि क्या है, और उसकी सबसे लंबी अवधि क्या है? क्योंकि मैं ने फत्वा संख्या (120178) पढ़ा है, और इस फत्वा के कारण मेंरे बीच और मेरे पिता के बीच बहस हुई। क्योंकि पिता गर्भ के मामलों के विशेषज्ञ हैं। वह एक रेडियोलोजिस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि चिकित्सा के दृष्टिकोण से यह गर्भ असंभव है, और अगर ऐसा इससे पहले हुआ है, जिसका उन्होंने सख्ती से खण्डन किया है, तो वह संभवतः वास्तविक गर्भ नहीं था, बल्कि गर्भ का संदेह रहा होगा, या झूठा गर्भ रहा होगा। पिता ने क़ुरआन की आयतः  ( وحمله وفصاله ثلاثون شهراً ) ''और उसके गर्भ की अवस्था में रहने और दूध छुड़ाने की अवधि तीस माह है।'' (सूरतुल अहक़ाफ : 15) से दलील पकड़ी है।
इसी तरह उन्हों ने बहुत से चिकित्सा संबंधी प्रमाणों से भी दलील पकड़ी है, जो गर्भ की इस लंबी अवधि को नकारते हैं। और वह कहते हैं कि उन्हों ने इसके द्वारा इस चीज़ का द्वार खोल दिया है कि किसी बच्चे को किसी ऐसे आदमी से जोड़ दिया जाए जो वास्तम में उसका बाप नहीं है! और यह कि जो कुछ फत्वा में आया है वह उलमा रहिमहुल्लाह का कथन (विचार) है। परंतु उन्हों ने किसी हदीस से दलील नहीं पकड़ी है सिवाय इस हदीस के कि ‘‘बच्चा बिस्तर वाले का है।'' (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम). और मेरी जानकारी के अनुसार यह हदीस आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : ‘‘सअद बिन अबी वक़्क़ास और अब्द बिन ज़मआ अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आपसी झगड़ा लेकर आए। सअद ने कहा : ऐ अल्लाह के पैगंबर! यह मेरे भाई का बेटा (मेरा भतीजा) है, मेरे भाई उतबा ने मुझे वसीयत की थी कि वह उनका बेटा है, आप उसकी एकरूपता देखिए। अब्द बिन ज़मआ ने कहा : ऐ अल्लाह के पैगंबर! यह मेरा भाई है, मेरे बाप के बिस्तर पर पैदा हुआ है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसकी मुखाकृति को देखा तो उतबा के साथ स्पष्ट रूप से एकरूपता पाया। फिर आप ने फरमाया : ''ऐ अब्द बिन ज़मआ! वह तेरे ही लिए है, बच्चा बिस्तर वाले का है और व्यभिचारी के लिए पत्थर है। और ऐ सौदा बिन्त ज़मआ, तो इससे पर्दा कर।'' कहते हैं कि : तो सौदा ने कभी भी उसे नहीं देखा। इस हदीस के अंदर गर्भावस्था की अवधि आदि का उल्लेख नहीं किया गया है जिसके द्वारा इस मुद्दे पर दलील पकड़ी गई है। अल्लाह आपको पुण्य प्रदान करे, आप हमें इस बारे में फत्वा दीजिए कि क्या धर्म और विज्ञान के बीच विरोधाभास है, जबकि क़ुरआन ने गर्भ और स्तनपान के लिए अधिक से अधिक दो वर्ष और छः महीने निर्धारित किए हैं।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

p class=MsoNormal dir=LTR style='text-align:justify;direction:ltr;unicode-bidi: embed'> उत्तर :

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लि योग्य है।

सर्व प्रथम :

औरत के गर्भ की सबसे लंबी अवधि का मुद्दा शरीअत के विद्वानों के बीच विवादास्पद मुद्दों में से है, जबकि चिकित्सकों के निकट विवाद का दायरा संकुचित है, और अधिकांश अरब देशों में व्यक्तिगत क़ानूनों (पर्सनल ला) में इसका दायरा और अधिक तंग है।

रही बात शरीअत के विद्वानों के निकट : तो उन्हों ने गर्भवती महिला के गर्भावस्था में ठहरने की सबसे अधिक अवधि के बारे में कई कथनों पर मतभेद किया है:

1- गर्भावस्था की अधिकतम अवधि : वही सामान्य अवधि है, जो नौ महीने है, यही ज़ाहिरी मज़हब के अनुयायियों का कथन है।

2- गर्भावस्था की अधिकतम अवधि : एक वर्ष है, यह मुहम्मद बिन अब्दुल हिकम का कथन है, और इब्ने रूश्द ने इसे चयन किया है।

3- दो वर्षः यह हनफिया का मत है।

4- तीन वर्षः यह लैस बिन सअद का कथन है।

5- चार वर्षः यह शाफेइया और हनाबिला का मत है, और मालिकिया के निकट दो कथनों में से सबसे प्रसिद्ध कथन है।

6- पाँच वषः यह इमाम मालिक से एक रिवायत है।

7- छः वर्षः यह ज़ोहरी और मालिक से एक रिवायत है।

8- सात वर्षः यही रबीअतुर्-राय का कथन है, और यह ज़ोहरी और मालिक से एक दूसरी रिवायत है।

9- गर्भावस्था की अधिकतम अवधि की कोई सीमा नहीं है। यह अबू उबैद और शौकानी का कथन है, और यही समकालीन विद्वानों : शंक़ीती, इब्ने बाज़ और उसैमीन का कथन है।

देखिएः ‘‘अल-मुहल्ला'' लिब्ने हज़्म (10/316), ‘‘अल-मुग़नी'' लिब्ने क़ुदामा मक़दसी (9/116), ‘‘अज़वाउल बयान'' (2/227).

रही बात डाक्टरों के निकट की : तो उन्हों ने तीन कथनों पर मतभेद किया है :

1- दस महीने।

2- 310 दिन।

3- 330 दिन।

रही बात अधिकांश अरब देशों में पर्सनल लॉ की, तो उन्हों इस अवधि को एक वर्ष के साथ निर्धारित किया है, तथा उनमें से कुछ ने उसे सौर वर्ष के हिसाब से एक वर्ष की गणना की है जबकि कुछ ने उसके चाँद वर्ष होने का स्पष्टता के साथ उल्लेख किया है।

जिसे बहुत से समकालीन शोधकर्ताओं ने चयन किया है : वह यह है कि गर्भावस्था की अधिकतम अवधि नौ महीने से एक साल के बीच है। यही इब्ने अब्दुल हकम, इब्ने रूश्द रहिमहुमुल्लाह का कथन है। और यह डाक्टरों के कथन से दूर नहीं है। तथा यह अधिकांश इस्लामी देशों में प्रचलित पर्सनल लॉ के भी अनुकूल है।

जहाँ तक इस बात का संबंध है कि गर्भावस्था की अवधि कई सालों तक बढ़ सकती है तो यह चिकित्सा की दुनिया में अस्वीकार्य है। इसीलिए अधिकांश समकालीन शोधकर्ताओं ने इसका इनकार किया है।

इब्ने हज़्म रहिमहुल्लाह ने उन समाचारों की प्रामाणिकता को चैलेंज किया है जिन पर उन विद्वानों ने भरोसा किया है, और कहा है कि गर्भ की अवधि कई सालों तक बढ़ सकती है। आप रहिमहुल्लाह ने उन समाचारों पर टिप्पणी करते हुए जो ऐसी औरतों के बारे में वर्णन की जाती हैं जो कई सालों तक गर्भावस्था में रहीं, फरमाया :

''यह सभी समाचार झूठ हैं, और उस व्यक्ति की ओर लौटने वाली हैं जो अविश्वसनीय है, और नहीं पता कि वह वास्तव में कौन है, और अल्लाह के दीन में इस तरह की चीज़ के द्वारा हुक्म लगाना जायज़ नहीं है।'' अंत हुआ।

''अल-मुहल्ला'' (10/316).

तथा जिन विद्वानों ने गर्भ की अवधि के बहुत सालों तक होने की बात कही है, उन्हों ने कुछ हदीसों और आसार से दलील पकड़ी है, परंतु ये ज़ईफ़ (कमज़ोर) हैं, उनके द्वारा इस तरह का हुक्म नहीं साबित हो सकता।

इब्ने हज़्म रहिमहुल्लाह ने इनका पीछा करते हुए इन्हें जईफ क़रार दिया है और इनका खण्डन किया है।

दूसरा:

जहाँ तक इस मुद्दे में समकालीन शोधकर्ताओं के कथनों की बात है तो हम उनमें से कुछ का उल्लेख कर रहे हैं:

1- ''चिकित्सा विज्ञान के लिए इस्लामी संगठन'' द्वारा ''गर्भावस्था की अधिकतम अवधि'' के विषय पर आयोजित 1987 ई. की तीसरी संगोष्ठी की सिफारिशों में आया है :

गर्भ का विकास गर्भाधान से लेकर जनने तक होता रहता है, जो अपने पोषण (आहार) में नाल पर निर्भर करता है, और गर्भ की अवधि लगभग 280 दिन है जो गर्भ धारण करने से पूर्व संपूर्ण मासिक धर्म के पहले दिन शुरू होता है।

यदि जन्म इससे विलंब हो जाए : तो नाल के अंदर इतना बैलेंस बचा हुआ रहता है जो दो अन्य सप्ताह के लिए कुशलतापूर्वक भ्रूण के लिए कार्य करता है, फिर भ्रूण इसके बाद अकाल से पीड़ित हो जाता है इस हद तक कि तैंतालीसवे और चव्वालीसवे सप्ताह में भू्ण के मरने का अनुपात ब़ढ़ जाता है, और दुर्लभ ही ऐसा होता है कि पैंतालीस सप्ताह तक गर्भ में रहने वाला भ्रूण मौत से बच जाए।

दुर्लभ और विसंगति को समायोजित करने के लिए : इस अविध को दो अतिरिक्त सप्ताह से और बढ़ा दिया जाता है ताकि वह तीन सौ तीस दिन हो जाए। और यह पता नहीं कि कोई नाल इस अवधि तक के लिए भ्रूण को जीवन तत्वों की आपूर्ति करने पर सक्षम रहा है। क़ानून ने वैज्ञानिक विचार के साथ-साथ, कुछ फिक़ही (शास्त्रीय) विचारों के आधार पर अधिक सावधानी का पहलू अपनाते हुए गर्भावस्था की अधिकतम अवधि : एक वर्ष क़रार दियी है।'' अंत हुआ।

2- श्री उमर बिन मुहम्मद बिन इब्राहीम गानम अपनी किताब ‘‘अहकामुल जनीन फिल फिक़हिल इस्लामी'' (इस्लामी धर्म-शास्त्र में भ्रूण के प्रावधान) के अंत में उन निप्कर्षों का उल्लेख किया है जिन तक वह पहुँचे हैं, उन्हीं में से निम्नलिखित हैं :

- गर्भावस्था की अधिकतम अवधि : एक चंद्र वर्ष है, तथा उन कथनों और विचारों का कोई एतिबार नहीं है, जिनकी ओर धर्म शास्त्री गए हैं जो इस अवधि से बढ़कर हैं, वे अनुमानों और कल्पनाओं पर आधारित हैं, और हक़ीक़त से उसका कोई आधार नहीं है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के तथ्य उन्हें ध्वस्त कर देते हैं।'' अंत हुआ।

3- तथा डाक्टर मुहम्मद सुलैमान अन्नूर अपने लेख ''धर्म शास्त्र, चिकित्सा और कुछ समकालीन पर्सनल ला के बीच गर्भावस्था की अवधि'' में कहते हैं :

''शोधकर्ता को यह वज़नदार और स्टीक लगा कि वह (यानी गर्भावस्था की अवधि) तीन सौ तीस दिन हैं, और संभव है कि यह अवधि बढ़ जाए यदि परीक्षण (जाँच) के द्वारा वह साबित हो जाए जिसे डाक्टरों के यहाँ ''हाइबरनेट'' कहा जाता है, और यह उस समय होता है जब गर्भ धारण करता है। और किसी अवस्था में जब यह गर्भ एक अवधि के लिए विकास करने से रुक जाता है, लेकिन वह जाँचों और चिकित्सा परीक्षणों के अनुसार जीवित होता है, तो उसकी वृद्धि के अनुसार गर्भावस्था की अवधि बढ़ जाती है। डाक्टरों ने गर्भ की अधिकतम अवधि के बारे में तीन विचारों पर मतभेद किया है : यह दस महीने, 310 दिन, 330 दिन हैं। यह एक दूसरे के क़रीब विचार हैं, और उनमें सबसे सावधानी वाला : अंतिम विचार है। कुछ डाक्टरों ने कई सालों तक विस्तृत गर्भ की कहानियों के कई कारण बयान किए हैं, और वह: भ्रमिक या झूठा गर्भ, कुछ गर्भवती महिलाओं का गणना में गलती करना, कुछ नवजात शिशुओं के दाँत का निकलना, गर्भ का अपनी माँ के पेट में मर जाना और उसमें एक लंबी अवधि तक बने रहना, इन खबरों का सही न होना।

तथा समकालीन व्यक्तिगत स्थिति के कानून, और बहुत से इस्लामी देशों में पर्सनल ला की परियोजनाएं इस बात की ओर गई हैं कि गर्भावस्था की अधिकतम अवधि : एक वर्ष है।

''मजल्लतुश शरीअह वद्दिरासातिल इस्लामिय्या अल-कोवैतिया'', संस्करण शाबान, 1428 हिज्री।

4- तथा डाक्टर अब्दुर्रशीद बिन मुहम्मद अमीन बिन क़ासिम कहते हैं :

पिछले कथनों में मननचिंतन करने से : मेरे लिए यह बात प्रत्यक्ष होती है कि : गर्भावस्था की अधिकतम अवधि जिस पर शरीअत के प्रावधानों का आधार होता है : वह वही सामान्य अवधि नौ महीने है, जो कुछ सीमित सप्ताह बढ़ सकती है, जैसा कि वस्तुस्थिति यही है। रही बात लंबी अवधियों की : तो यह दुर्लभ ही होता है। और धर्मशास्त्र का नियम है कि ‘‘दुर्लभ संवभावनाओं पर ध्यान नहीं दिया जायेगा'', तथा यह भी नियम है कि : ''अधिकतर और अक्सर व बेश्तर का एतिबार किया जायेगा, और दुलर्भ का कोई हुक्म नहीं है।'' समकालीन वस्तुस्थिति गर्भवास्था के कई वर्षों तक विस्तृत होने की बात कहने वालों के भर्मों का खण्डन करती है, क्योंकि एक वर्ष में करोड़ों मनुष्य जन्म लेते हैं, यदि इस तरह के गर्भ का अस्तित्व होता तो मीडिया और डाक्टर उसे प्रकाशित करते, क्योंकि वे लोग इस घटना से बहुत कमतर चीज़ों को भी प्रकाशित करते हैं। इस विचार को, इस मुद्दे पर बात करनेवाले सामान्य समकालीन शोधकर्ताओं ने चयन किया है।

''न्यूनतम और अधिकतम गर्भावस्था की अवधि, शास्त्रीय चिकित्सक अध्ययन'' (पृष्ठ : 10) -मकतबा शामिला की गणना के अनुसार -

अंत में . . इस मुद्दे के बारे में जो कहना संभव है वह यह है कि : यदि चिकित्सकीय आधार पर, सुदृढ़ रूप से जिसमें कोई संदेह न हो, यह साबित हो जाए कि इन लंबे सालों तक गर्भ का बाक़ी रहना संभव नहीं है, तो इस कथन (विचार) को अपनाए बिना कोई चारा नहीं है; क्योंकि शरीअत कोई ऐसी चीज़ नहीं प्रस्तुत करती जो वस्तुस्थिति या चेतना के विपरीत हो।

इस मुद्द के अंदर क़ुरआन करीम या सुन्नत (हदीस) से कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि हम कहें कि धर्म का ज्ञान के साथ टकराव हो रहा है, बल्कि ये विद्वानों और ज्ञानियों के इजतिहादात यानी कोशिशें और प्रयास हैं जिनका संदर्भ और आधार, अस्तित्व है। अर्थात जिसने भी कोई बात कही है या विचार रखा है, उसने यही उल्लेख किया है कि वस्तुस्थिति (वास्तव) में यह चीज़ मौजूद है जो उसकी साक्षी है और उसका समर्थतन करती है।

इसीलिए इब्ने रूश्द रहिमहुल्लाह ने फरमाया है :

''इस मुद्दे के अंदर आदत (सामान्य स्वभाव) और अनुभव की ओर लौटा जायेगा, और इब्ने अब्दुल हकम और ज़ाहिरिया का कथन सामान्य स्वभाव के अधिक क़रीब है। और हुक्म को सामान्य स्वभाव के अनुसार ही होना चाहिए, न कि दुलर्भ के अनुसार और शायद कि वह असंभव हो।'' अंत हुआ।

''बिदायतुल मुजतहिद'' (2/358).

तथा इब्ने अब्दुल बर्र रहिमहुल्लाह ने फरमाया :

''इस मुद्दे का कोई मूल आधार नही है सिवाय इज्तिहाद के और औरतों के मामले से जो कुछ जाना जाता है उसकी ओर लौटा जाए।'' अंत हुआ।

''अल-इसतिज़कार'' (7/170).

और ऐसी अवस्था में उन विद्वानों के लिए जिन्हों ने लंबी अवधि के जायज़ होने की बात कही है, यह उज़्र पेश किया जा सकता है कि उन्हों ने इसे ऐसी खबरों पर आधारित किया है जिनके बारे में उनका - उसम समय - यह गुमान था कि वे साबित (प्रमाणित) हैं, और उन्हों ने मामले का आधार सुरक्षा पर रखा है।

और अल्लाह तआला के फरमान : ( وحمله وفصاله ثلاثون شهراً ) ''और उसके गर्भ की अवस्था में रहने और दूध छुड़ाने की अवधि तीस माह है।'' (सूरतुल अहक़ाफ : 15) का अर्थ जानने के लिए प्रश्न संख्या (102445) का उत्तर देखिए।

तथा अब्द बिन ज़मआ की हदीस की व्याख्या से अवगत होने के लिए प्रश्न संख्या (100270) का उत्तर देखिये।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर