हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि उस शहर में जिसमें आप लोग रहते हैं कोई मस्जिद है जिसमें जुमा की नमाज़ होती है, तो आप लोगों के ऊपर उनके साथ नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है, और आप लोगों के लिए कोई दूसरा जुमा क़ायम करना जायज़ नहीं है। लेकिन अगर उस शहर में जुमा की नमाज़ नहीं होती है, तो आप लोगों के लिए उसे क़ायम करना अनिवार्य है, और आप लोगों के लिए उसकी जगह पर ज़ुह्र की नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है, क्योंकि (मुसलानों पर उनके गाँवों में जुमा के दिन जुमा की नमाज़ क़ायम करना अनिवार्य है, उसके शुद्ध होने के लिए जमाअत का होना शर्त है। और उसके सही होने के बारे में किसी निर्धारित संख्या की शर्त लगाने के बारे में कोई शरई प्रमाण साबित नहीं है, अतः उसके सही होने के लिए उसे तीन या उससे अधिक आदमियों के द्वारा क़ायम करना काफी है, और विद्वानों के सही कथन के अनुसार उस आदमी के लिए जिसके ऊपर जुमा की नमाज़ अनिवार्य है उसकी जगह पर चालीस से कम संख्या होने के कारण ज़ुह्र की नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है)
स्थायी समिति का फत्वा संख्या : 1794 (8/178).
तथा स्थायी समिति के फत्वा संख्या 957 में आया है :
(जहाँ तक जुमा के क़ायम होने के लिए संख्या की शर्त लगाने की बात है: तो हम कोई नस (क़ुर्आन या हदीस का कोई प्रमाण) नहीं जानते हैं जो किसी निर्धारित संख्या को इंगित करता हो, और संख्या को निर्धारित करने वाले किसी नस के न होने की वजह से विद्वानों ने उस संख्या के बारे में मतभेद किया है जिससे जुमा की नमाज़ क़ायम होती है। इस बारे में जो कथन वर्णित हैं उन्हीं में से एक यह है कि : जुमा की नमाज़ तीन स्थायी लोगों से क़ायम होती है, और यह इमाम अहमद की एक रिवायत है, इसे औज़ाई और तक़ीयुददीन इब्ने तैमिया ने चुना है, क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
فاسعوا إلى ذكر الله
''तो तुम अल्लाह के ज़िक्र की तरफ दौड़ो।'' और यह बहुवचन है और कम से कम बहुवचन तीन है।) (8/210)
इस्लाम प्रश्न और उत्तर