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धर्म को गाली देने वाले आदमी का हुक्म और अगर वह तौबा कर ले तो क्या उसे क़त्ल किया जायेगा ॽ

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प्रकाशन की तिथि : 14-09-2012

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प्रश्न

एक आदमी है जो दीन की बातों को नहीं जानता है और दीन को गाली देता है तो उसका क्या हुक्म है ॽ और यदि उसे अपनी गलती का पता चल जाए तो उसे क्या करना चाहिए ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उत्तर :

हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

“दीन को गाली देना बड़ा कुफ्र (घोर नास्तिकता) और इस्लाम धर्म से पलट जाना (अधर्मी हो जाना) है,हम ऐसी स्थिति से अल्लाह की पनाह मांगते हैं,यदि मुसलमान अपने दीन को गाली दे,या इस्लाम को गाली दे,या इस्लाम की निंदा व आलोचना करे और उसकी बुराई करे,या उसका उपहास करे तो यह इस्लाम से पलट जाना (विधर्म हो जाना) है, अल्लाह तआला ने फरमाया :

قُلْ أَبِاللّهِ وَآيَاتِهِ وَرَسُولِهِ كُنتُمْ تَسْتَهْزِؤُونَ لاَ تَعْتَذِرُواْ قَدْ كَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ [التوبة : 65-66]

“आप कह दीजिए, क्या तुम अल्लाह, उसकी आयतों और उस के रसूल का मज़ाक़ उड़ाते थे ॽअब बहाने न बनाओ,निःसन्देह तुम ईमान के बाद (फिर) काफिर हो गए।” (सूरतुत्तौबाः 65-66)

सभी विद्वान इस बात पर एक मत हैं कि जब भी मुसलमान दीन को गाली देगा या उसकी निंदा और बुराई करेगा, या पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को गाली देगा या उनकी निंदा और बुराई करेगा, या उनका उपहास करेगा, तो इसके कारण वह मुर्तद्द (स्वधर्म त्यागी) व काफिर हो जायेगा, उसका रक्त और धन हलाल (वैध) होगा, उस से तौबा करवाया जायेगा,यदि उसने तौबा कर लिया तो ठीक, अन्यथा उसे क़त्ल कर दिया जायेगा।

जबकि कुछ विद्वानों का कहना है कि : निर्णय और फैसले की दृष्टि से उसके लिए तौबा नहीं है बल्कि उसे क़त्ल कर दिया जायेगा, लेकिन अधिक उचति बात यह है कि यदि अल्लाह ने चाहा तो जब वह तौबा का प्रदर्शन करेगा और तौबा की घोषणा करेगा और अपने सर्वशक्तिमान पालनहार की ओर पलट आयेगा तो उसे स्वीकार किया जायेगा, यदि शासक ने दूसरों को उस काम से बाज़ रखने के लिए उसे क़त्ल कर दिया तो कोई बात नहीं है,जहाँ तक उसके और अल्लाह के बीच तौबा का मामला है तो वह सही है,यदि उसने सच्ची तौबा कर ली तो उसकी तौबा (पश्चाताप) उसके और अल्लाह के बीच सही है यद्यपि शासक ने उसे दीन के प्रति लापरवाही और दीन को गाली देने का द्वार बंद करने के लिए क़त्ल कर दिया हो।

उद्देश्य यह है कि दीन को गाली देना, दीन या पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की निंदा और बुराई करना, या उसका उपहास करना मुसलमानों की सर्वसहमति के साथ स्वधर्म त्याग और महान कुफ्र (नास्तिकता) है, ऐसे आदमी से तौबा करवाया जायेगा,यदि उसने तौबा कर लिया तो अल्लाह तआला उसकी तौबा को स्वीकार कर लेगा और उसे क्षमा कर देगा, रही बात इसकी कि उसे दुनिया में क़त्ल किया जायेगा है या कत्ल नहीं किया जायेगा तो इस मामले में विद्वानों के बीच मतभेद है जैसा कि हम उल्लेख कर चुके हैं।” अंत हुआ।

आदरणीय शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ रहिमहुल्लाह

स्रोत: “फतावा नूरून अलद-दर्ब” इब्न बाज़ (1/105)