हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
ज़कात उस पर अनिवार्य है जिसे कोई व्यक्ति बिक्री के लिए तैयार करता है। क्योंकि अबू दाऊद (हदीस संख्या : 1562) ने समुरह बिन जुन्दुब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमें उसपर ज़कात देने का आदेश देते थे जिसे हम बिक्री के लिए तैयार करते थे।
अतः यदि यह परियोजना मुर्गियों के पालने और उन्हें बेचने पर आधारित है, तो उसपर व्यापार की ज़कात देय है। इसलिए मौजूदा मुर्गियों का हिजरी वर्ष के अंत में मूल्यांकन किया जाएगा और उसके मूल्य से दसवें हिस्से का एक चौथाई अर्थात (2.5%) निकाल दिया जाएगा। उस क़ीमत पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा जिसपर उन्हें खरीदा गया था, न ही परियोजना की पूंजी पर। हिजरी वर्ष के अंत में, उन मुर्गियों को देखा जाएगा जो बिक्री के लिए तैयार की गई हैं और इसी तरह वे अंडे जो बिक्री के लिए तैयार किए गए हैं, फिर उस क़ीमत के आधार पर उनका मूल्य निर्धारित किया जाएगा जिस (क़ीमत) पर आप उन्हें बेचते हैं और इस मूल्य से ज़कात निकाली जाएगी।
वर्ष की शुरुआत उन पैसों के निसाब (यानी न्यूनतम राशि जिसपर ज़कात अनिवार्य होती है) का मालिक होने से होती है जिसके द्वारा परियोजना की स्थापना की गई थी।
इस परियोजना से आपको जो भी लाभ और वित्तीय आय प्राप्त होती है, तो उसकी ज़कात मूल परियोजना पर ज़कात के साथ निकाली जाएगी, यदि वह परियोजना पर एक वर्ष बीत जाने तक बाक़ी रहती है, और उसके लिए एक अलग वर्ष शुमार नहीं किया जाएगा।
वर्ष के अंत से पहले इस आय (लाभ) में से जो खर्च कर दिया जाता है, उसमें कोई ज़कात नहीं है।
यह ज्ञात होना चाहिए कि ज़कात केवल उसपर अनिवार्य है, जो बिक्री के लिए तैयार की गई है, जैसे कि मुर्गियाँ और अंडे। जहाँ तक परियोजना में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों और मशीनों का संबंध है, उनपर कोई ज़कात नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।