रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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क्या ऐसा विचार जिसके कारणवश वीर्यपात हो जाए रोज़ा नष्ट कर देता है ॽ

प्रश्न

मैं रमज़ान के महीने में एक यूरोपीय देश में विचार के द्वारा सख्त कामोत्तेजना का शिकार होगया जिसके कारण वीर्य का पतन हो गया। और यह विचार करते हुए कि मेरा रोज़ा खराब हो गया, अपने मन के बहकावे में आकर मैं ने हस्तमैथुन कर लिया, तो क्या मेरे ऊपर क़ज़ा अनिवार्य है या कफ्फारा (परायश्चित) ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

मुसलमान के लिए अनिवार्य है कि वह अपने कान, आँख और अन्य अंगों की उस चीज़ में पड़ने से सुरक्षा करे जिसे अल्लाह तआला ने उसके ऊपर हराम (वर्जित) कर दिया है। असल बात तो यह है कि रोज़ा आत्मा को शिष्ट और पवित्र करता है और रोज़ेदार के लिए इच्छाओं का शिकार बनने से बचाव और रक्षक होता है। विद्वानों ने विचार के द्वारा वीर्यपात करके रोज़ा को नष्ट और अमान्य करने के मुद्दे में मतभेद किया है, चुनाँचे मालिकिया ने उसे अमान्य घोषित किया है और जमहूर विद्वानों ने उसे अमान्य नहीं ठहराया है, स्पष्ट यह होता है कि उन्हों ने उसके कारण रोज़ा को अमान्य इसलिए नहीं ठहराया है कि उसके अंदर बंदे की कोई इच्छा नहीं होती है, वह एक ऐसी चीज़ है जो दिल में आती है जिसको हटाना संभव नहीं होता है। किंतु जहाँ तक जानबूझकर सोचने और वीर्यपात के उद्देश्य से विचार में लिप्त रहने का प्रश्न है : तो ऐसी स्थिति में उसके बीच और वीर्यपात करने के लिए जानबूझकर (उत्तेजक चीज़ को) देखने के बीच कोई अंतर नहीं है, और जमहूर विद्वानों का विचार है जानबूझ कर देखने से यहाँ तक कि वीर्यपात हो जाए, रोज़ा अमान्य हो जाता है।

“अल-मौसूअतुल फिक़हिय्या” (26/267) में आया है :

“ हनफिय्या और शाफेइय्या इस बात की ओर गए हैं कि : देखने और विचार करने के द्वारा वीर्य पात करने या मज़ी (संभोग के बारे में विचार करने इत्यादि से लिंग से निकलने वाला चिपचिपा तरल पदार्थ) गिराने से रोज़ा अमान्य नहीं होता है। तथा शाफेइय्या के निकट सबसे अधिक सही के विपरीत यह मत है कि : यदि दृष्टि के द्वारा वीर्यपात करने की उसकी आदत है, या वह बार-बार देखता रहा यहाँ तक कि वीर्य पात कर दिया : तो उसका रोज़ा नष्ट (खराब) हो जायेगा। तथा मालिकिया और हनाबिला इस बात की ओर गए हैं कि : निरंतर दृष्टि के द्वारा वीर्य पात करना रोज़े को खराब कर देता है ; क्योंकि यह ऐसे कार्य के द्वारा वीर्य पात करना है जिस से मज़ा (लज़्ज़त) मिलता है और उस से बचना संभव है।

जहाँ तक सोच विचार (कल्पना) के द्वारा वीर्य पात करने का संबंध है तो मालिकिया के निकट इस से रोज़ा खराब हो जाता है, जबकि हनाबिला के निकट यह रोज़े को अमान्य नहीं करता है क्योंकि उस से बचना संभव नहीं है।” (समाप्त हुआ)।

तथा प्रश्न संख्या : (22750) का उत्तर देखिए।

जब रोज़ा फासिद हो गया तो आपके लिए उस दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है, लेकिन आपके ऊपर कफ्फारा वाजिब नहीं है, इसलिए कि कफ्फारा उसी व्यक्ति पर अनिवार्य होता है जिसने अपने रोज़े को संभोग के द्वारा खराब कर दिया है।

तथा प्रश्न संख्या : (38074) और (71213) का उत्तर देखें।

अतः आपके ऊपर जो चीज़ करना अनिवार्य है वह निम्नलिखित है:

1- हस्तमैथुन करने के गुनाह से तौबा (पश्चाताप) करना।

इसके हराम (निषिद्ध) होने के बारे में प्रश्न संख्या : (329) का उत्तर देखें।

2- उस दिन की क़ज़ा करना।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर