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जिहाद की हिकमत (बुद्धिमत्ता)

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प्रकाशन की तिथि : 14-01-2014

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प्रश्न

क्या जिहाद का अर्थ गैर-मुस्लिमों को क़त्ल करना होता है ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

जिहाद का शाब्दिक अर्थ है : मनुष्य का अपनी कोशिश और ताक़त का लगाना।

शरीअत की इस्तिलाह में जिहाद का मतलब है : अल्लाह के कलिमा को सर्वोच्च करने और उसके धर्म को धरती पर जमाने के लिए अपनी कोशिश लगाना।

इस्लाम में जिहाद का मतलब ग़ैर-मुस्लिमों को क़त्ल करना नहीं है, बल्कि उसका अभिप्राय धरती पर अल्लाह के धर्म को स्थापित करना, उसकी शरीयत (धर्म शास्त्र) के अनुसार फैसला करना और मनुष्यों को मनुष्यों की पूजा से निकालकर मनुष्यों के पालनहार की पूजा की तरफ, और धर्मों के अत्याचार व अन्याय से इस्लाम के न्याय की तरफ लाना है, अल्लाह तआला का फरमान है :

وقاتلوهم حتى لا تكون فتنة ويكون الدين كله لله [الأنفال :39] .

''और उनसे लड़ाई करो यहाँ तक कि फित्ना बाक़ी न रहे और दीन पूरा का पूरा अल्लाह का हो जाए।'' (सूरतुल अंफाल : 39)

शैख अब्दुर्रहमान अस-सअदी ने इस आयत की व्याख्या करते हुए फरमाया :

अल्लाह तआला ने अपने रास्ते में लड़ाई का उद्देश्य उल्लेख किया है, और यह कि उसका मक़्सद काफिरों का खून बहाना और उनका धन हथियाना नहीं है, बल्कि उसका मक़्सद यह है कि समुचित रूप से धर्म अल्लाह के लिए हो जाए। चुनाँचे अल्लाह का धर्म अन्य सभी धर्मों पर गालिब आ जाए, और उसके विरूद्ध जो शिर्क (अनेकेश्वरवाद) आदि है उसे दूर कर दे, और ''फित्ना'' से मुराद यही है। अतः जब उद्देश्य और मक़्सद प्राप्त हो जाए तो फिर कोई क़त्ल और लड़ाई जायज़ नहीं है। ''तफ्सीर इब्ने सअदी'' (पृष्ठ : 98).

तथा काफिर लोग जिनसे हम जिहाद करते हैं, वे स्वयं जिहाद से लाभान्वित होते हैं, क्योंकि हम उनसे जिहाद और लड़ाई इसलिए करते हैं ताकि वे अल्लाह के मक़बूल व पसंदीदा धर्म में प्रवेश करें, और यह उनके लिए दुनिया व आखिरत में मुक्ति का कारण है, अल्लाह तआला ने फरमाया :

كُنْتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ تَأْمُرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَتَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَتُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ [آل عمران : 110]

''तुम सब से अच्छी उम्मत हो जो लोगों के लिए पैदा की गई है कि तुम नेक कामों का हुक्म देते हो और बुरे कामों से रोकते हो, और अल्लाह पर ईमान रखते हो।'' (सूरत आल-इम्रान:110)

तथा बुख़ारी (हदीस संख्या : 4557) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने फरमाया : ﴾ كُنْتُمْ خَيْرَ أُمَّةٍ أُخْرِجَتْ لِلنَّاسِ ﴿ ''तुम सब से अच्छी उम्मत हो जो लोगों के लिए पैदा की गई है।'' अर्थात तुम लोगों के लिए लोगों में सबसे अच्छे हो, तुम उन्हें उनके गले में ज़ंजीरें डाल कर लाओगे ताकि वे इस्लाम में प्रवेश करें।

इब्नुल जौज़ी ने फरमाया : इसका अर्थ यह है कि वे बंदी बनाए गए और बाँध दिए गए, फिर जब उन्हें इस्लाम की प्रामाणिकता और सत्यता का पता चला तो वे स्वेच्छा पूर्वक इस्लाम में प्रवेश कर लिए, अतः वे स्वर्ग में दाखिल हुए।'' इब्नुल जौज़ी की बात समाप्त हुई।

प्रश्न संख्या (20214) के उत्तर में हम ने जिहाद की श्रेणियों का उल्लेख किया है और वे चार श्रेणियाँ हैं: नफ्स से जिहाद, शैतान से जिहाद, कुफ्फार से जिहाद और मुनाफिक़ीन से जिहाद।

तथा प्रश्न संख्या (34647) के उत्तर में जिहाद की हिकमत (बुद्धिमत्ता) का उल्लेख किया गया, अतः उसे देखें क्योंकि यह महत्वपूर्ण है, और इस प्रश्न में उसी की जानकारी मांगी गई है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर