हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जो वयक्ति किसी मुसलमान को रमज़ान के दिन में खाते हुए, या पीते हुए, या रोज़ा तोड़ने वाली किसी भी चीज़ का सेवन करते हुए देखे, तो उस पर उस आदमी को टोकना अनिवार्य है। क्योंकि रमज़ान के दिन में इसका प्रदर्शन करना एक मुनकर काम (बुराई) है, भले ही वह व्यक्ति वास्तव में माज़ूर (क्षम्य) हो। ताकि लोग भूल का दावा करके (बहाना बना कर) रोज़े के दिन में अल्लाह तआला की हराम की हुई रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का खुला प्रदर्शन करने पर निडर न हो जायें। यदि इसका प्रदर्शन करने वाला अपने भूल के दावा में सच्चा है तो उस पर क़ज़ा नहीं है। क्यों किनबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जिस व्यक्ति ने रोज़े की हालत में भूल कर खा लिया या पी लिया तो वह अपना रोज़ा पूरा करे ; क्योंकि उसे अल्लाह तआला ने खिलाया और पिलाया है।" (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम)
इसी तरह यात्री के लिए भी यह उचित नहीं है कि वह निवासी लोगों के बीच जो उसकी स्थिति को नहीं जानते हैं, रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का प्रदर्शन करें। बल्कि उसे चाहिए कि उसे गुप्त रखे ताकि उस पर अल्लाह तआला की हराम की हुई चीज़ के सेवन करने का आरोप न लगाया जाये, और ताकि उसके अलावा दूसरे लोग भी ऐसा करने का साहस न करें। इसी प्रकार काफिरों को भी मुसलमानों के बीच खुले आम खाने पीने इत्यादि से रोका जायेगा ताकि इस विषय में लापरवाही का द्वार बन्द हो जाये, और इसलिए भी कि उनके लिए मुसलमानों के बीच अपने भ्रष्ट (असत्य) धर्म का प्रदर्शन करना वर्जित और निषिद्ध है। और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है।