हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जब बच्चा सक्षम है, तो वह स्वयं अपनी ओर से ज़कात निकालेगा। और यदि उसका पिता भी उसकी ओर से ज़कात निकाल देता है, तो इसमें कुछ भी हर्ज नहीं है और यह नुकसान नहीं पहुँचाएगा। खासकर यदि पिता की अपने बच्चों की ओर से हर साल ज़कात देने की आदत है, अगरचे वे बड़े हो गए हों और नौकरी करते हैं। फिर भी वह अपनी आदत जारी रखना पसंद करता है। और यदि बेटा कह दे कि आप मेरी ओर से ज़कातुल-फ़ित्र न निकालें तो पिता को अपने दिल में तंगी और हर्ज महसूस हो सकता है। इसलिए वह अपने पिता को छोड़ दे कि वह उसकी ओर से ज़कात निकाले और वह स्वयं भी अपनी ओर से ज़कात निकाले। तथा पिता का बच्चों की ओर से ज़कातुल-फ़ित्र का निकालना जारी रखना कुछ लोगों के निकट बेटे के अपने पिता से लगाव रखने की निरंतरता और उनके आज्ञापालन और देखभाल में बने रहने का प्रतीक माना जाता है। इसलिए बेटे को पिता के लिए उस काम को करने का अवसर छोड़ देना चाहिए, जिससे उन्हें प्रसन्नता मिलती है। अल्लाह ही से प्रश्न है कि वह सभी की स्थितियों को सुधार दे।