हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
अगर किसी महिला का मासिक धर्म सूर्यास्त से पहले शुरू हो जाए, भले ही वह एक क्षण पहले हो, तो उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा, और उसे उस दिन की क़ज़ा करनी पड़ेगी।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने “मजालिस शहर रमज़ान” (पृष्ठ : 39) में कहा :
“यदि उसका मासिक धर्म आ जाए और वह रोज़े की हालत में हो, चाहे वह सूर्यास्त से एक क्षण पहले ही क्यों न हो, तो उसका रोज़ा बातिल (अमान्य) हो जाएगा और उसके लिए उसकी क़ज़ा करनी अनिवार्य है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
उसके लिए मासिक धर्म की अवस्था में रोज़ा रखना जायज़ नहीं है। यदि वह ऐसा करती है, तो उसका रोज़ा सही (मान्य) नहीं है।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने “अल-मुग़नी” (4/397) में कहा :
“यदि मासिक धर्म वाली महिला रोज़ा रखने का इरादा करती है और खाने-पीने से रुक जाती है, जबकि वह जानती है कि यह हराम है, तो वह पाप कर रही है और यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।