रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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रोज़ा रखने वाले को थोड़ी-सी उल्टी आने का हुक्म

प्रश्न

क्या थोड़ी-सी मात्रा में उल्टी करने से रोज़ा टूट जाता हैॽ यह थूकने और उल्टी करने के बीच की बात थी। कृपया इसका हुक्म स्पष्ट करें।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

उल्टी का मतलब है भोजन आदि का पेट से शरीर के बाहर निकलना। “लिसानुल-अरब” में कहा गया है : “यह पेट में जो कुछ है उसे जानबूझकर निकालना है।” 1/135

उल्टी का उसके रोज़ा बातिल (अमान्य) करने या न करने के एतिबार से हुक्म यह है कि अगर उसने जानबूझकर उल्टी की है, तो उसका रोज़ा बातिल हो जाएगा और उसके लिए उस दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है। परंतु यदि उल्टी उसपर हावी हो जाए और वह अपनी इच्छा के बिना उल्टी कर दे, तो उसका रोज़ा सही (मान्य) है और उसे कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। इसका उल्लेख प्रश्न संख्या (38023 ) में किया जा चुका है।

यदि उसे अपनी बीमारी के कारण उल्टी करना पड़े और उल्टी करना उपचार में सहायक हो, तो उसके लिए ऐसा करना जायज़ है और उसपर रमज़ान के बाद उस दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है, क्योंकि अल्लाह तआला का फ़रमान है :

فمن كان منكم مريضا أو على سفر فعدة من أيام أخر

البقرة: 185

“फिर तुममें से जो बीमार हो, अथवा किसी यात्रा पर हो, तो दूसरे दिनों से गिनती पूरी करना है।” (सूरतुल-बक़रा : 184) ।

सही दृष्टिकोण के अनुसार थोड़ी या अधिक मात्रा में उल्टी होने में कोई अंतर नहीं है। अतः यदि उसने जानबूझकर उल्टी की है और थोड़ी-सी भी चीज़ बाहर आई है, तो उसका रोज़ा टूट गया।

उन्होंने “अल-फ़ुरु” में कहा : “यदि वह जानबूझकर उल्टी करता है और कुछ भी उल्टी करता है, तो उसका रोज़ा टूट जाएगा, क्योंकि अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में है :“जिस व्यक्ति पर उल्टी ग़ालिब आ जाए, उस पर कोई क़ज़ा नहीं। और जो व्यक्ति जानबूझकर (इच्छापूर्वक) उल्टी करे, वह क़ज़ा करे।” (अल-फ़ुरु', 3/49) इस हदीस को अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2380) और तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 720) ने रिवायत किया है और उन्होंने कहा कि विद्वानों के निकट इसपर अमल है। तथा अलबानी ने इसे सहीह कहा है।

लेकिन थूक और उल्टी में फर्क़ है। क्योंकि थूक और कफ पेट से नहीं आते हैं। इसलिए उन्हें बाहर निकालने या थूकने में कोई हर्ज नहीं है। जहाँ तक उल्टी करने का प्रश्न है, तो यह पेट में जो कुछ है उसका बाहर निकलना है, जैसा कि पहले बताया जा चुका है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर