हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
''कोई शक नहीं कि पिता का हक़ पुत्र के ऊपर बहुत महान है, और जब आपकी पत्नी उनके घर में नहीं रहना चाहती है तो आप उसे बाध्य नहीं करेंगे। बल्कि आप ऐसा कर सकते हैं कि इस विषय में अपने पिता से बातकर उन्हें संतुष्ट कर दें और पत्नी को एक अलग ही घर में रहने दें। जबकि आप अपने पिता के साथ संपर्क में रहें, उनके साथ सद्व्यवहार करते रहें, उन्हें खुश रखें और उनके साथ जहां तक हो सके एहसान व भलाई करते रहें।''
''अल-मुन्तक़ा मिन फतावा शैख सालेह अल-फौज़ान'' (3/405)