रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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फज्र से कुछ मिनट पहले खाने पीने से रूक जाना बिदअत है

प्रश्न

कुछ देशों में फज्र से लगभग दस मिनट पहले एक समय होता है जिसे वे खाने पीने से रूक जाने का समय कहते हैं, जिसके अंदर लोग रोज़े का आरंभ करते हैं और खाने पीने से रूक जाते हैं। (यानी सेहरी करना बंद कर देते हैं) तो क्या यह कृत्य सही है ॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यह काम सहीह नहीं है। क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने रोज़ेदार के लिए उस समय तक खाना पीना जाइज़ किया है जब तक कि फज्र का उदय होना स्पष्ट न हो जाए। अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है:

وَكُلُوا وَاشْرَبُوا حَتَّى يَتَبَيَّنَ لَكُمُ الْخَيْطُ الأبْيَضُ مِنَ الْخَيْطِ الأَسْوَدِ مِنَ الْفَجْرِ [البقرة : 187]

“तुम खाते पीते रहो यहाँ तक कि प्रभात का सफेद धागा रात के काले धागे से प्रत्यक्ष हो जाए।” (सूरतुल बक़राः 187)

तथा बुखारी (हदीस संख्या : 1918) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1092) ने इब्ने उमर और आइशा रजियल्लाहु अन्हुम से रिवायत किया है कि बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु रात के समय अज़ान देते थे तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “ खाओ पियो यहाँ तक कि इब्ने उम्मे मक्तूम अज़ान दें, क्योंकि वह उस समय तक अज़ान नहीं देते हैं जब तक कि फज्र उदय न हो जाए।”

नववी रहिमहुल्लाह - अल्लाह उन पर दया करे - ने फरमाया :

इस हदीस के अंदर इस बात का प्रमाण है कि : फज्र के उदय होने तक खाना, पीना, संभोग करना और अन्य सभी चीज़ें जाइज़ हैं। (नववी की बात समाप्त हुई)

हाफिज़ इब्ने हजर ने “फत्हुल बारी” (4/199) में फरमाया :

“निंदात्मक बिदअतों (नवाचारों) में इस ज़माने में अविष्कारित रमज़ान के महीने में फज्र से लगभग एक तिहाई घंटा पूर्व दूसरा अज़ान देना और रोशनियों (बत्तियों) को बुझा देना है, जो रोज़ा रखने का इरादा रखने वाले पर खाने और पीने को वर्जित घोषित करने की निशानी बना दी गई है, जिसके बारे में इसे अविष्कार करने वालों का यह भ्रम है कि यह इबादत के अंदर एहतियात (सावधानी) के लिए है।”

शैख उसैमीन रहिमहुल्लाह - अल्लाह उन पर दया करे - से प्रश्न किया गया कि कुछ जन्त्रियों (कैलेंडरों) में फज्र से लगभग पन्द्रह मिनट पहले “इम्साक” (अर्थात सेहरी खाने से रूकने) का समय निर्धारित होता है, तो उन्हों ने उत्तर दिया :

यह बिद्अत है, सुन्नत से इसका कोई असल (आधार) नहीं है, बल्कि सुन्नत इसके विपरीत है, इसलिए कि अल्लाह तआला ने अपनी किताबे अज़ीज़ में फरमाया है :

وَكُلُوا وَاشْرَبُوا حَتَّى يَتَبَيَّنَ لَكُمُ الْخَيْطُ الأبْيَضُ مِنَ الْخَيْطِ الأَسْوَدِ مِنَ الْفَجْرِ [البقرة : 187]

“तुम खाते पीते रहो यहाँ तक कि प्रभात का सफेद धागा रात के काले धागे से प्रत्यक्ष हो जाए।” (सूरतुल बक़राः 187)

और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

“बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु रात के समय अज़ान देते हैं, इसलिए खाओ पियो यहाँ तक कि इब्ने उम्मे मक्तूम की अज़ान सुन लो, क्योंकि वह उस समय तक अज़ान नहीं देते हैं जब तक कि फज्र न उदय होजाए।”

यह इम्साक (सेहरी बंद कर देने का समय) जिसे कुछ लोग तैयार करते हैं यह उस चीज़ पर ज़ियादती (वृद्धि) है जो अल्लाह तआला ने फर्ज़ करार दिया (निर्धारित किया) है, इसलिए यह बातिल (अमान्य) है, और यह अल्लाह के धर्म में हठ और कट्टरपंथ में से है, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान हैः

“ दीन के अन्दर तशद्दुद करने वाले बर्बाद होगए, दीन के अन्दर हठ करने वाले सर्वनाश होगए, दीन के अन्दर सख्ती करने वाले मिट गए।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2670) ने रिवायत किया है। (शैख इब्ने उसैमीन की बात समाप्त हुई).

और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर