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मैं ने अपने शहर से इशा की नमाज़ के बाद यात्रा की और मुझे उसी दिन वापस लौटना था। क्योंकि मैं लगभग फज़्र (सुबह) की नमाज़ के बाद पहुँचा था और मैं जिनके पास ठहरा हुआ था उन्हें इस बात से सूचित कर दिया था कि मुझे दोपहर के समय जगा देंगे क्योंकि मेरे इरादा अपने परिवार के पास लौटने का था। मैं उठा और ज़ुहर (दोपहर) की नमाज़ पढ़ी। उन्हों ने मेरे लिए दोपहर का भोजन पेश किया। मैं ने भोजन किया और यात्रा पर निकल गया तो इसके बारे में क्या हुक्म हैॽ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
प्रतीक यह होता है कि आप रमज़ान के इस दिन का रोज़ा तोड़ देने के हुक्म के बारे में प्रश्न कर रहे हैं। तथा आपके सवाल से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि आपके शहर और उस शहर के बीच जिसकी ओर आप ने यात्रा की है एक लंबी दूरी है, क्योंकि आपकी यात्रा में कई घंटे लगे हैं, और इस तरह की दूरी को यात्रा समझा जाता है, और यात्री के लिए रमज़ान में रोज़ा तोड़ना जायज़ (अनुमेय) है, और आपके ऊपर इस दिन की क़ज़ा अनिवार्य है, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान हैः
"और जो बीमार हो या यात्रा पर हो तो वह दूसरे दिनों में उसकी गिन्ती पूरी करे।" (सूरतुल बक़रा : 185)
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।