हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।''कुछ विद्वान इस बात की ओर गए हैं कि वह अकेले रोज़ा रखेगा, जबकि सही बात यह है कि उसके लिए अकेले रोज़ा रखना जायज़ नहीं है, और न ही उसके लिए अकेले रोज़ा तोड़ना जायज़ है। बल्कि उसे चाहिए कि वह लोगों के साथ रोज़ा रखे और उनके साथ ही रोज़ा तोड़े। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ''रोज़ा उस दिन है जिस दिन तुम रोज़ा रखते हो और इफ्तार का दिन वह जिस दिन तुम रोज़ा तोड़ देते हो।'' लेकिन अगर वह जंगल-विहार में है उसके पास कोई नहीं है तो वह रोज़ा रखने और तोड़ने में अपनी दृष्टि (अर्थात चाँद देखने) पर अमल करेगा।''अंत हुआ।
फज़ीलतुश्शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाह