हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
‘‘मोहरमि के लिए स्नान करने में कोई हरज (आपत्ति) की बात नहीं है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के बारे में प्रमाणित है कि आप ने एहराम की हालत में स्नान किया।
रही बात शैम्पू की, तो प्रत्यक्ष बात यही है कि उसकी महक (गंध), इत्र की नहीं है, बल्कि वह एक बू और महक है जो मन को भाती है जैसा कि पोदीना, सेब के पत्ते और इसके समान चीज़ों में होता है। बहरहाल जो भी चीज़ सुगंध (इत्र) है मोहरिम के लिए उसका इस्तेमाल जायज़ नहीं है।’’ अंत