हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।जैसाकि आप ने उल्लेख किया है कि वुज़ू करना असंभव या कठिन है, और अल्लाह तआला का फरमान है : "और उस ने दीन के मामले में तुम पर कोई तंगी नहीं डाली।" (सूरतुल हज्ज : 78)
अत: हवाई जहाज़ पर सवार आदमी तयम्मुम करेगा यदि उस में गर्द व गुबार मौजूद है, और अगर उस में गर्द व ग़ुबार नहीं है तो वह बिना वुज़ू के ही नमाज़ पढ़ेगा क्योंकि वह असक्षम है, और अल्लाह तआला का फरमान है : "अतएव अपनी यथाशक्ति अल्लाह से डरते रहो।" (सूरतुत्-तग़ाबुन: 16)
किन्तु अगर उस के लिए संभव है कि वह दूसरी नमाज़ के समय में जिसके साथ उस से पहले वाली नमाज़ एकत्र करके पढ़ी जाती है, हवाई अड्डे पर उतर जायेगा तो ऐसी अवस्था में वह उस नमाज़ को विलंब कर दे अर्थात् विलंब करके उसे दूसरी नमाज़ के समय पर एक साथ पढ़ने की नीयत कर ले और जब हवाई अड्डे पर उतरे तो दोनों नमाज़ों को एक साथ पढ़ ले। लेकिन अगर उस के लिए ऐसा संभव न हो जैसेकि वह एक साथ एकत्र करके पढ़ी जाने वाली नमाज़ों में से दूसरी नमाज़ का समय हो, या वह नमाज़ अपने बाद वाली नमाज़ के साथ एकत्र करके न पढ़ी जाती हो जैसे अस्र की नमाज़ मग्रिब के साथ, और इशा की नमाज़ फज्र की नमाज़ के साथ, तो ऐसा आदमी अपनी स्थिति अनुसार नमाज़ पढ़ेगा।
एलामुल मुसाफिरीन बि-बा`ज़ि आदाबि व अह्कामिस्सफर वमा यखुस्सो अल-मल्लाहीन अल-जव्वीईन