सोमवार 24 जुमादा-1 1446 - 25 नवंबर 2024
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वह अपने कार्यों को कैसे पूरा करे ॽ

प्रश्न

मेरी समस्या यह है कि मैं जो भी शुरू करता हूँ उसे पूरा नहीं कर पाता हूँ, चाहे वास्तव में उसे शुरू कर दिया हूँ, या उसका केवल इरादा किया हूँ, और चाहे यह कार्य मेरी इबादत से संबंधित हो या मेरे सांसारिक जीवन से। मैं हमेशा जो काम कर रहा होता हूँ उसे बीच रास्ते ही में छोड़ देता हूँ। कृपया मुझे सलाह दें, धन्यवाद।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

समस्या परामर्श तथा दिशानिर्देश में नहीं है। वह समस्या जिससे आप पीड़ित हैं, वह एक व्यवहारिक मामला है, जो एक क्रियात्मक समाधान और उपचार की अपेक्षा करता है। उसमें केवल उपदेश देनेवाले शब्दों या मौखिक सलाह पर निर्भर नहीं किया जाएगा।

इस दोष और खराबी को दूर करने के लिए सबसे पहली चीज़ जो आप को करनी चाहिए वह बहुत स्पष्ट रूप से : "काम के पूरा होने तक उसे जारी रखना" है। और शायद पहला सफल प्रयोग आपको अपने सभी कार्यों को पूर्णता के साथ संपन्न करने की दिशा में प्रेरित करेगा। इस संबंध में दो बातें आप की सहायक हो सकती हैं:

1- कार्य को छोटे-छोटे मिलते-जुलते चरणों में विभाजित करें ताकि प्रत्येक चरण को अलग-अलग पूरा करने तथा अंतिम चरण तक प्रयास करने में अधिक सक्रिय हो सकें, क्योंकि मन बड़े और लंबे कार्यों को भारी और कठिन समझता है। अतः आप उस कार्य को पूरा करने के लिए उसे अंशों और चरणों में विभाजित करने की नीति अवश्य अपनाएं।

2- छोटे-छोटे तथा शीघ्र समाप्त होने वाले कार्यों का चयन करें और उन्हें पूरा करने के लिए उनका आरम्भ करें। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं : "ऐ लोगो: उन्हीं कार्यों को करो जिनकी तुम ताक़त रखते हो।" इसे बुखारी (हदीस संख्याः 5861) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 782) ने रिवायत किया है।

तथा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यह भी फरमान है : "अल्लाह के निकट सबसे अच्छा कार्य वह है जिसे सदैव किया जाए, चाहे कम ही हो।" इसे बुखारी (हदीस संख्याः 6464) और मुस्लिम (हदीस संख्याः 783) ने रिवायत किया है।

इमाम नववी रहिमहुल्लाह कहते हैं : "इसका अर्थ यह है कि (ऐसे कार्य का चयन करें) जो किसी नुकसान के बिना निरंतरता के साथ कर सकें। यह हदीस इबादत में माध्यमिकता व संतुलन अपनाने तथा अधिक गहराई से बचने पर प्रोत्साहन का प्रमाण है, तथा यह हदीस नमाज़ के लिए विशिष्ट नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के अच्छे कार्यों को शामिल है।" समाप्त हुआ।

''शर्हुन- नववी अला मुस्लिम'' (6/70-71)

हम आप को कुछ पुस्तकों और शैक्षिक अध्ययनों को देखने तथा इस क्षेत्र में उनका लाभ लेने की सलाह देते हैं, जिनमें निम्नलिखित किताबें शामिल हैं :

अल-फुतूर : असबाबुहू व इलाजुहू (उदासीनता: उसके कारण और उपचार), लेखक : शैख डाक्टर नासिर अल-उमर.

अज्ज़ुस-सिक़ात (भरोसेमंदों की असमर्थता), लेखक : शैख डाक्टर मुहम्मद मूसा अश्शरीफ.

और अल्लाह ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर