हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
"आप के ऊपर अनिवार्य यह है कि आप धैर्य से काम लें यहाँ तक कि घड़ी का मालिक आये और आप के हक़ का भुगतान करे। अगर आप के लिए ऐसा करना कठिन है और आप धैर्य करने पर सन्तुष्ट नहीं हैं, तो आप उस घड़ी को बाज़ार में नीलामी में अधिक से अधिक मूल्य पर बेच दें, फिर उस से अपना हक़ ले लें और शेष राशि को उस के मालिक के लिए सुरक्षित रखें, अगर वह किसी दिन वापस आये तो उसे उस का अधिकार दे दें, और अगर लंबा समय बीत जाये और आप को उस का पता न चल सके और आप उस का अधिकार उस के पास भेजने में भी असमर्थ हों, तो ऐरी स्थिति में उस के मालिक की तरफ से नीयत करके उसे किसी गरीब पर दान कर दें। इस विषय में यही शरई तरीक़ा है।"
समाहतुश्शैख अब्दुल अज़ीज़ बिन बाज़ रहिमहुल्लाह