हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
नवजात शिशु के आगमन पर हर्ष और खुशी व्यक्त करने और मिठाई आदि बाँटने में कोई आपत्ति की बात नहीं है। यह मुसलमानों और अन्य लोगों के बीच प्रचलित पुराने रीति-रिवाजों में से एक है, इसलिए इसे काफिरों की समानता अपनाना (और उकी नक़ल करना) नहीं माना जाएगा ; क्योंकि यह उनकी विशेषताओं में से नहीं है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया :
एक महिला पूछती है : उनका रिवाज है कि जब उनके यहाँ बच्चा पैदा होता है और वह चलना शुरू कर देता है, तो इस अवसर पर एक उत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें पड़ोसियों को आमंत्रित किया जाता है, और इसे एक असामान्य अवसर माना जाता है। इस उत्सव में, बच्चे की माँ आशावाद के रूप में तथा हर्ष और खुशी व्यक्त करते हुए नवजात के सिर पर मिठाई बिखेरती है। इस उत्सव का क्या हुक्म हैॽ क्या स्कूल में बच्चों की सफलता का उत्सव मनाना भी इसी के समान हैॽ
उन्होंने जवाब दिया :
“जहाँ तक ख़ुशियों के अवसरों पर ख़ुश होने की बात है, तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है, और जो कुछ भी वह कर सकता है उसे करना चाहिए, बशर्ते कि उसमें कोई हराम चीज़ या विश्वास (विशेष मान्यता) शामिल न हो ; क्योंकि ये स्वाभाविक चीजों में से हैं जिनकी सहज मानव प्रकृति माँग करती है। ऐसा ही होता है कि प्रत्येक व्यक्ति विशेष अवसरों पर आनंदित होता है। और मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता।”
“अल-फ़तावा अस-सुलासिय्यह” से उद्धरण समाप्त हुआ।