हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
जनाज़ा की नमाज़ फ़र्ज़े किफाया है। यदि कुछ लोग जनाज़ा की नमाज़ पढ़ लेते हैं, तो बाक़ी लोग ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाएँगे। लेकिन यदि सभी लोग उसे छोड़ देते हैं जबकि वे जानते हैं, तो वे सभी लोग दोषी होंगे। यह केवल पुरुषों के लिए विशिष्ट नहीं है। बल्कि जनाज़ा की नमाज़ की वैधता में पुरुष और महिला दोनों बराबर हैं, हालाँकि यह मूल रूप से पुरुषों के लिए है। परंतु महिला जनाज़ा के पीछे नहीं जाएगी। क्योंकि उम्मे अतिय्यह रज़ियल्लाहु अन्हा से प्रमाणित है कि उन्होंने कहा : “हमें जनाज़ा (अंतिम संस्कार के जुलूस) के पीछे जाने से रोका गया था, लेकिन हमें साग्रह नहीं रोका गया था।” इसे बुखारी और मुस्लिम ने रिवायत किया है। तथा एक अन्य रिवायत के शब्द यह हैं कि "अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें मना किया ...)"