हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
शादी और इसी तरह के अन्य खुशी के अवसरों पर मिठाई और उपहार बांटने में कोई हानि की बात नहीं है।
और यह अभी भी मुस्लिम देशों में बिना किसी आपत्ति के सुपरिचित और ज्ञात है, तथा प्रश्न संख्याः (134163) का उत्तर देखें।
जहाँ तक नए साल के केक का संबंध हैः तो उसे बनाने या उसे बेचने में सहयोग करना जायज़ नहीं है; क्योंकि यह पाप और अतिक्रमण में सहयोग करने में शामिल है। इसलिए कि नव वर्ष दिवस मुसलमानों के त्योहारों में से नहीं है। अतः उसका जश्न मनाना, या उसका जश्न मनाने वाले की मदद करना जायज़ नहीं है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह कहते हैं :
''काफिरों को क्रिसमस दिवस या उसके अलावा उनके अन्य धार्मिक त्योहारों की बधाई देना सर्वसहमति के साथ हराम है; क्योंकि उसमें कुफ्र के उन प्रतीकों और रस्मों को प्रमाणित व स्वीकार करना और उन्हें उनके लिए पसंद करना पाया जाता है जिन पर वे क़ायम हैं, भले ही वह स्वयं अपने लिए इस कुफ्र को पसंद न करता हो। परंतु मुसलमान के लिए हराम और वर्जित है कि वह कुफ्र के प्रतीकों और रस्मों से खुश हो, या दूसरे को उसकी बधाई दे। इसी तरह मुसलमानों के ऊपर, इस अवसर पर समारोहों का आयोजन कर, उपहारों का आदान प्रदान कर, या मिठाइयाँ अथवा खाने की डिशें आवंटित कर, या काम से अवकाश लेकर इत्यादि, काफिरों की समानता अपनाना हराम (निषिद्ध) है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : ''जिसने किसी क़ौम (जाति) की समानता (छवि) अपनाई वह उसी में से है।'' इसे अबू दाऊद (हदीस संख्याः 4031) ने रिवायत किया है।'' संक्षेप में समाप्त हुआ।
''मजमूओ फतावा व रसाइल इब्ने उसैमीन'' (3/45-46)।
और अल्लाह तआला ही सब से अधिक ज्ञान रखता है।