गुरुवार 6 जुमादा-1 1446 - 7 नवंबर 2024
हिन्दी

पति की अनुमति के बिना गर्भनिरोधक गोली लेने का हुक्म

प्रश्न

मैं अपने पति के साथ रहती हूँ और उस से मेरे चार बेटे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से हम सभी इस आदमी के हमारे साथ व्यवहार में क्रूरता और निरंतर हिंसा से पीड़ित हो रहे हैं यहाँ तक कि मामला शारीरिक यातना तक पहुँच गया है।
ज्ञात रहे कि मैं 40 साल की हो गई हूँ, और मेरे चारों बेटे जब वे मेरे पेट में भ्रूण के रूप में थे तो स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त थे। अतः मैं पुनः गर्भ धारण करना नहीं चाहती हूँ, लेकिन मेरे पति सदैव मेरे ऊपर पुनः गर्भ धारण करने पर बल देते हैं और अक्सर मुझे तलाक़ की धमकी देते हैं।
तो क्या मेरे लिए अपने पति के ज्ञान के बिना गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल करना जाइज़ है, विशेषकर डॉक्टरों ने मुझे इसकी सलाह दी है और मेरी स्वास्थ्य परिस्थितियों के चलते मुझे गर्भ धारण करने से सावधान किया है, जबकि मैं और मेरे चारों बेटे जिस पीड़ा में जी रहे हैं वह इसके अतिरिक्त है। इसलिए मैं कोई दूसरा बेटा लाने की इच्छा नही रखती हूँ। (सूचना के लिए मेरा पति हमारे ऊपर दो बार चाक़ू उठा चुका है)।
मेरा पति मेरी स्वास्थ्य परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखता है, जबकि वह मेरे अंतिम गर्भ में हस्पताल के अंदर अपनी आँख से मेरी बिगड़ी हुई स्वास्थ्य और पीड़ा को देख चुका है।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

यह बात ज्ञात रहनी चाहिए कि पति और पत्नी में से प्रत्येक के लिए बच्चा पैदा करने का अधिकार है, अतः पति के लिए अपने पत्नी की अनुमति के बिना उस से अलग अज़्ल करना जाइज़ नहीं है, तथा पत्नी के लिए अपने पति की अनुमति के बिना गर्भ को रोकने का कोई भी साधन उपयोग करना जाइज़ नहीं है। देखिए: “अल-मौसूअतुल फिक़्हियह” (3/156)

इब्ने नुजैम अल-हनफी ने फरमाया :

“महिला का अपनी बच्चेदानी के मुँह को बंद कर लेना जैसा कि महिलाएं बच्चे को रोकने के लिए करती हैं, पति की अनुमति के बिना हराम व निषिद्ध है, उसके पत्नी की अनुमति के बिना अज़्ल करने पर क़ियास करते हुए।” “अल-बह्र अर-राइक़” (3/215)

अल-बहूती अल-हंबली ने फरमाया :

“तथा काज़ी ने फरमाया : पति की अनुमति के बिना वह जाइज़ नहीं है ; क्योंकि उसे बच्चे का अधिकार है।” “कश्शाफुल क़िनाअ्” (2/96) से समाप्त हुआ।

लेकिन यदि पत्नी के लिए बच्चा पैदा न करने में कोई प्रत्यक्ष और स्पष्ट उज़्र (कारण) हो, जैसे कि गर्भ धारण करना विश्वसनीय डॉक्टरों की साक्ष्य के अनुसार उसके लिए स्पष्ट नुक़सान का कारण बनता हो, तो ऐसी स्थिति में अनुमति लेने में पति का अधिकार समाप्त हो जाता है, क्योंकि महिला का हित अपने स्वास्थ्य की रक्षा करने में, बच्चा पैदा करने में पुरूष के हित पर प्राथमिकता रखता है।

और पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है :

“न नुकसान जाइज़ है और न किसी को नुकसान पहुँचाना जाइज़ है।” इसे इब्ने माजा (हदीस संख्या : 2340) ने रिवायत किया है और इमाम नववी ने अपनी किताब “अल-अज़कार” पृष्ठ: 502 में इसे हसन कहा है।

बल्कि विद्वानों ने गर्भवती महिला के लिए अपना गर्भ गिराना जाइज करार दिया है जब तक कि वह प्रारंभिक दिनों में है, यदि उसके कारण उसकी स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचता है। तथा प्रश्न संख्या (82851) का उत्तर देखिए।

तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह के फतावा में है : मैं शादीशुदा हूँ, मेरा पति गर्भनिरोधक गोलियाँ खाने से मना करता है, उसे उस थकान और पीड़ा का एहसास नहीं है जो मैं झेलती हूँ, मैं नुक़सान ग्रस्त हूँ, और मैं ने अपने पति के ज्ञान के बिना गर्भनिरोधक गोलियाँ खा लीं, तो क्या इसमें कोई हर्ज की बात है ॽ

तो शैख ने उत्तर दिया : “यदि उस से उपेक्षा करना आसान है तो यही अधिक सावधानी का पक्ष है, लेकिन यदि नुकसान बहुत बड़ा है, और कठिनाई बड़ी है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, अन्यथा उसको छोड़ देना ही अधिक सावधानी का पक्ष है। तथा पति का आज्ञापालन करना अनिवार्य है, सिवाय इसके कि छति बड़ी हो और आपके लिए कठिनाई का कारण हो ; क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है: “तुम अपनी यथा शक्ति अल्लाह से डरो।” (सूरत : ) “मजमूओ फतावा इब्ने बाज़” (21/183) से अंत हुआ।

आपके लिए बेहतर यह है कि अपने पति के साथ प्रयास करें ताकि मामला पारस्परिक समझदारी और आप दोनों के बीच सहमति से संपन्न हो जाए, तथा आदमी को चाहिए कि अपनी पत्नी की परिस्थिति और उसके स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान रखे।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “पति को चाहिए कि जब वह देखे कि औरत अपनी गर्भावस्था में असामान्य रूप से प्रभावित होती है : तो उसे गर्भनिरोधक चीज़ इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान कर दे, या वह उस पर दया व कृपा करते हुए स्वयं गर्भनिरोधक इस्तेमाल करे, यहाँ तक कि वह चुस्त और सक्रिय हो जाए और उसके लिए ताक़तवर हो जाए।” “फतावा नूरून अलद्दर्ब” से समाप्त हुआ।

जहाँ तक पति के दुर्व्यवहार और उसके चरित्र की भयंकरता का संबंध है तो यह बच्चा न जनने के लिए कोई बहाना नहीं है, संभव है कि अल्लाह तआला इस बच्चे में भरपाई और व्यापक भलाई पैदा कर दे, जैसाकि अल्लाह तआला का फरमान है :

يخْرِجُ الْحَيَّ مِنَ الْمَيِّتِ ، وَيُخْرِجُ الْمَيِّتَ مِنَ الْحَيِّ [الروم : 19]

“वही मृतक से जीवित को निकालता है और जीवित से मृतक को निकालता है।” (सूरतुर्रूमः 19)

तथा फरमाया :

فَعَسَى أَنْ تَكْرَهُوا شَيْئًا وَيَجْعَلَ اللَّهُ فِيهِ خَيْرًا كَثِيرًا [النساء : 19]

“हो सकता है तुम किसी चीज़ को नापसंद करो और अल्लाह उसके अंदर बहुत अधिक भलाई पैदा कर दे।” (सूरतुन निसा : 19).

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर