शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
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रिश्तेदारी के कारण जिन महिलाओं से शादी करना वर्जित है

प्रश्न

कृपया, क्या आप मुझे रिश्तेदारों के संबंध में इस्लाम में शादी के नियम के बारे में बता सकते हैं, क्योंकि मुझे पता है कि किसी व्यक्ति के लिए अपने चचेरे भाई (चाहे वह पुरुष हो या महिला) से शादी करना जायज़ है। लेकिन अपने पिता के चचेरे भाई से शादी करने का क्या हुक्म हैॽ इसी तरह, मेरी बेटी का मेरी सास के भतीजे से विवाह करने का क्या हुक्म हैॽ कृपया मुझे अवगत कराएँ, अल्लाह आपको अच्छा प्रतिफल प्रदान करे।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

रिश्तेदारी के कारण जिन महिलाओं से विवाह करना निषिद्ध है, अल्लाह तआला ने उनका उल्लेख करते हुए फरमाया :

حُرِّمَتْ عَلَيْكُمْ أُمَّهَاتُكُمْ وَبَنَاتُكُمْ وَأَخَوَاتُكُمْ وَعَمَّاتُكُمْ وَخَالاتُكُمْ وَبَنَاتُ الأَخِ وَبَنَاتُ الأُخْتِ...

النساء: 23

“तुमपर हराम (निषिद्ध) कर दी गई हैं; तुम्हारी माताएँ, तुम्हारी बेटियाँ, तुम्हारी बहनें, तुम्हारी फूफियाँ, तुम्हारी मौसियाँ (खालाएँ) और भतीजियाँ और भाँजियाँ...” (सूरतुन-निसा : 23)

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने कहा :

“ये सात महिलाएँ हैं जो शरीयत के पाठ (नस्) और विद्वानों की सर्वसम्मति के अनुसार विवाह में निषिद्ध हैं, इस विषय में किसी भी विद्वान ने मतभेद नहीं किया है।” “अश-शर्ह अल-मुम्ते'” (12/53) से उद्धरण समाप्त हुआ।

वे महिलाएँ निम्नलिखित हैं :

1. माँ, जिसमें पिता और माता दोनों तरफ की दादी-नानियाँ शामिल हैं।

2. बेटी, जिसमें पोतियाँ भी शामिल हैं

3. बहनें, चाहे सगी बहनें हों या पिता या माता के माध्यम से सौतेली बहनें।

4. फूफी (बुआ), जिसमें पिता और माता की बुआ (फूफी) भी शामिल हैं।

5. ख़ाला (मौसी), जिसमें पिता और माता की मौसी (खाला) भी शामिल हैं।

6. भाई की बेटी, जिसमें उसकी पोतियाँ भी शामिल हैं।

7. बहन की बेटी, जिसमें उसकी पोतियाँ भी शामिल हैं।

इनके अलावा जो भी रिश्तेदार महिलाएँ हैं, वे हलाल हैं। इसलिए अल्लाह तआला ने इसके बाद वाली आयत में फरमाया :

وَأُحِلَّ لَكُمْ مَا وَرَاءَ ذَلِكُمْ

النساء: 24

“और इनके सिवा दूसरी स्त्रियाँ तुम्हारे लिए ह़लाल कर दी गई हैं।” (सूरतुन निसा : 24)।

इसके आधार पर, चाचा और फूफी की बेटी, तथा मामा और ख़ाला की बेटी शादी में हलाल है। क़ुरआन करीम ने उसे स्पष्ट रूप से बयान किया है :  

يا أَيُّهَا النَّبِىُّ إِنَّآ أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللاَّتِى" ءَاتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّآ أَفَآءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالَاتِكَ..

الأحزاب: 50

“ऐ नबी! निःसंदेह हमने आपके लिए आपकी वे पत्नियाँ हलाल (वैध) कर दी हैं, जिन्हें आपने उनका महर चुका दिया है, तथा वे लौंडियाँ (भी) जो आपके स्वामित्व में हैं, उन लौंडियों में से जो अल्लाह ने ग़नीमत के धन से आपको प्रदान की हैं। तथा आपके चाचा की बेटियाँ, आपकी फूफियों की बेटियाँ, आपके मामा की बेटियाँ और आपकी मौसियों की बेटियाँ...” (सूरतुल अहज़ाब : 50)

इस आधार पर, एक लड़की के लिए अपने पिता के चाचा के बेटे से विवाह करना जायज़ है, क्योंकि एक व्यक्ति का चाचा उसके लिए और उसकी सभी संतानों के लिए चाचा होता है। अतः “उसके पिता का चाचा” उसका भी चाचा है, और उसका बेटा उसका चचेरा भाई होगा, और एक लड़की के लिए अपने चचेरे भाई से शादी करना जायज़ है।

तथा आपकी बेटी के लिए आपकी सास के भाई के बेटे से विवाह करना जायज़ है, क्योंकि आपकी सास का भाई उसका मामा होगा, क्योंकि वह उसके पिता का मामा है, और पिता का मामा उसकी संतान का भी मामा है। और एख लड़की के लिए अपने मामा के बेटे (ममेरे भाई) से निकाह करना जायज़ है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर