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जब आदमी अपनी पत्नी पर प्रवेश करे तो क्या कहे ?

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प्रकाशन की तिथि : 19-05-2013

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प्रश्न

शादी की सुहाग रात को पत्नी पर प्रवेश करने के बारे में सुन्नत का प्रावधान क्या है ॽ क्योंकि यह बात बहुत से लोगों के लिए समस्या का कारण बनी हुई है कि वह सूरतुल बक़रा पढ़ेगा और नमाज़ पढ़ेगा, और अब यह बहुत से लोगों की आदत बन चुकी है ?

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

जब आदमी पहली बार अपनी पत्नी पर प्रवेश करे तो उसकी पेशानी - सिर का प्रारंभिक भाग - पकड़ कर कहे :

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ وَأَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّهَا وَمِنْ شَرِّ مَا جَبَلْتَهَا عَلَيْهِ

उच्चारणः ”अल्लाहुम्मा इन्नी अस्अलुका ख़ैरहा व ख़ैरा मा जबल्तहा अलैहि, व अऊज़ो बिका मिन शर्रेहा व शर्रे मा जबल्तहा अलैहि”

ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसकी भलाई और जिस भलाई पर तू ने इसे पैदा किया है उसका सवाल करता हूँ। और मैं इसकी बुराई से और जिस बुराई पर तू ने इसे पैदा किया है उससे तेरी पनाह चाहता हूँ।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2160) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 1918) ने रिवायत किया है। किंतु अगर उसे डर है कि महिला को उसकी पेशानी पकड़ने और यह दुआ पढ़ने से उलझन व चिंता होगी, तो उसके लिए ऐसा करना संभव है कि वह उसकी पेशानी को इसत तरह पकड़े कि मानों उसे चुंबन करना चाहता है और इस दुआ को अपने दिल में पढ़े कि उसे सुनाई न दे, वह अपनी ज़ुबान से उसे बोले लेकिन उस औरत को सुनाई न दे ताकि वह चिंतित न हो, और यदि औरत धर्म का ज्ञान रखने वाली है, उसे पता है कि यह धर्मसंगत है तो ऐसा करने और उसे सुनाने में उसके ऊपर कोई आपत्ति नहीं है। जहाँ तक उस कमरे में जिसमें पत्नी है प्रवेश करते समय दो रक्अत नमाज़ पढ़ने का संबंध है तो कुछ पूर्वजों से वर्णित है कि वह ऐसा करते थे, तो अगर आदमी ऐसा करता है तो अच्छा है और अगर इसे नहीं करता है तो कोई आपत्ति की बात नहीं है। जहाँ तक सूरतुल बक़रा या उसके अलावा अन्य सूरतों के पढ़े का मामला है तो मैं इस का कोई आधार (प्रमाण) नहीं जानता हूँ।

स्रोत: “लिक़ाउल बाबिल मफ़तूह” लिब्ने उसैमीन 52/41