हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
खाने और पीने की चीज़ों में मूल सिद्धांत (असल) वैध और हलाल होना है यहाँ तक कि हराम होने की कोई दलील साबित हो जाए। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फरमाया:
هُوَ الَّذِي خَلَقَ لَكُمْ مَا فِي الأَرْضِ جَمِيعاً [ سورة البقرة : 29]
“वही (अल्लाह) है जिसने जो कुछ ज़मीन में है सब तुम्हारे लिए पैदा किया है।” (सूरतुल बक़रा : 29)
इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि जाहिलीयत (अज्ञानता युग) के लोग कुछ चीज़ों को खाते थे और कुछ चीज़ों को गंदी समझते हुए छोड़ देते थे, तो अल्लाह तआला ने अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को भेजा और अपनी किताब अवतरित की और अपने हलाह को हलाल ठहराया और अपने हराम को हराम घोषित किया। अतः उसने जो कुछ हलाल ठहराया है वह हलाल है और जो कुछ हराम घोषित किया है वह हराम है, और जिस चीज़ से खामोश रहा है वह माफ है, और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अल्लाह तआला के इस फरमान की तिलावत फरमाई :
قُلْ لا أَجِدُ فِيمَا أُوحِيَ إِلَيَّ مُحَرَّمًا ...
‘‘आप कह दीजिए कि जो कुछ मेरी तरफ वह्य की गई मैं उसमें किसी चीज़ को हराम नहीं पाता हूँ . . . आयत के अंत तक।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 3306) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी रहिमहुल्लाह ने इसे सहीह कहा है।
हाफिज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह ने फरमाया : दूसरा प्रकार: ‘‘जिस चीज़ के बारे में कोई रूकावट (निषेध) नहीं आई है तो वह हलाल है, लेकिन इस शर्त के साथ कि उसे ज़बह किया जाये, जैसे बतख और पानी की चिड़िया।” फत्हुल बारी से समाप्त हुआ।
बतख और कबूतर के खाने के हराम होने पर कोई दलील वर्णित नहीं है, इसलिए हम असल की ओर देखेंगे और वह जाइज़ होना है, बल्कि कबूतर के खाने का हलाल होना वर्णित है इस दलील के आधार पर कि सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने हरम के कबूतर के बारे में जिसे मोहरिम शिकार कर लेता है एक बकरी का फैसला किया है, तो इस से पता चला कि उसका खाना हलाल है।
इब्ने क़ुदामा रहिमहुल्लाह ने फरमाय : ‘‘उमर, उसमान, इब्ने उमर, इब्ने अब्बास और नाफे बिन अब्दुल हारिस ... ने इसका फैसला किया है।” ‘‘अल-मुग्नी” (3/274) से अंत हुआ।
नववी रहिमहुल्लाहने फरमाया : ‘‘हमारे असहाब (यानी शाफईया) का इत्तिफाक़ है कि शुतुरमुर्ग, चिकन (मुर्गी) . . . बतख, क़ता (कबूतर के समान एक चिड़िया), गौरैया, चंडोल, तीतर, कबूतर . . . का खाना हलाल है।” शर्हुल मुहज़्ज़ब (7/22) से समाप्त हुआ।
तथा आप रहिमहुल्लाह ने फरमाया: ‘‘जो पानी में और खुश्की में भी जीवित रहता है तो उसमें से पानी की चिड़िया जैसे बतख और हंस और इनके समान हैं, और वह हलाल है जैसाकि पीछे गुज़र चुका, और बिना किसी मतभेद के उसका मुर्दार (मृत) जाइज़ नहीं है बल्कि उसको ज़बह करना ज़रूरी है . . .’’ शर्हुल मुहज़्ज़ब (9/35) से समाप्त हुआ।