हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
मूलतः वकील अमीन (विश्वस्त) होता है, और अमानतदारी का तक़ाज़ा यह है कि वकील ऐसा काम करे जो उसके मुवक्किल के लिए सबसे उचित और योग्यतम हो, और यहाँ पर उसके मुवक्किल के लिए सबसे उचित और योग्यतम यह है कि उसकी ओर से हज्ज तमत्तुअ् किया जाए, जिस तरह कि स्वयं उसके लिए भी यही हज्ज योग्यतम है यदि वह अपनी ओर से हज्ज कर रहा होता।
अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने कहा : हम हज्ज का तलबियह पुकारते हुए बाहर निकले, जब हम मक्का आए तो अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें आदेश दिया कि हम उसे उम्रा बना लें और फरमाया : यदि मुझे अपने मामले की वह चीज़ पहले पता होती जो मैं ने बाद में जानी है तो मैं (भी) इसे उम्रा बना लेता, परंतु मैं हदी का जानवर लेकर आया हूँ और हज्ज और उम्रा को मिलाया हूँ।” इसे इमाम अहमद (हदीस संख्या : 12044) ने रिवायत किया है और इसके मूलशब्द सहीहैन (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम) में हैं ।
यदि उसके मुवक्किल या उसे किराये पर रखने वाले व्यक्ति ने किसी निश्चित प्रकार के हज्ज की शर्त लगाई है तो उसके लिए अपने मुवक्किल के शर्त की पाबंदी करना ज़रूरी है।
तथा प्रश्न संख्या (1745) का उत्तर देखें।