हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।हम ने इस प्रश्न को अपने शैख आदरणीय शैख अब्दुर्रहमान अल-बर्राक पर पेश किया तो उन्हों ने निम्न लिखित उत्तर दिया :
अल्लाह तआला का फरमान है :
وَلْتَكُنْ مِنْكُمْ أُمَّةٌ يَدْعُونَ إِلَى الْخَيْرِ وَيَأْمُرُونَ بِالْمَعْرُوفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ [آل عمران : 104]
''और तुम में से एक गिरोह ऐसा होना चाहिए, जो भलाई की ओर बुलाए और नेक कामों का हुक्म दे और बुरे कामों से रोके।'' (सूरत आल इमरान : 104).
तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :
''तुम में से जो व्यक्ति कोई बुराई देखे तो उसे अपने हाथ से बदल दे। यदि वह इसमें सक्षम नहीं है तो अपनी ज़ुबान से उसका खण्डन करे। यदि वह इसकी ताक़त न रखे तो अपने दिल में उसे बुरा जाने। और यह सबसे कमज़ोर ईमान है।'' इसे मुस्लिम ने अपने सहीह (हदीस संख्या: 70)में रिवायत किया है।
तथा अल्लाह तआला ने फरमाया : ''जितना तुम से हो सके अल्लाह तआला से डरो।'' (सूरत तग़ाबुन: 16)
यह बुराई जिसके बदलने का प्रश्न के अंदर वर्णन हुआ है, उसको यथाशक्ति ऐसी चीज़ के द्वारा बदलना अनिवार्य है जो बुराई को समाप्त कर दे और उसे कम कर दे, और वह इस तरह कि सत्ताधारी (प्रशासन) और उसे मिटाने या उस क्षेत्र से टालने पर सक्षम तक उस मामले को पहुँचाया जाए, या उस स्थल के मालिक से बात की जाय ताकि वह उस बुराई के काम में पूँजी निवेश करने से उपेक्षा करे जिससे उसे देर-सबेर हानि उठानी पड़ेगी, और उससे आहवान किया जाए कि वह उसका उपयोग ऐसे काम में करे जो उसके लिए और उस क्षेत्र वालों के लिए लाभकारी हो, और जिससे उन्हें उनके दीन और उनकी दुनिया में घाटा न उठाना पड़े।
जहाँ तक नाइट क्लब को विध्वंस कर बुराई को बदलने का संबंध है, जैसाकि प्रश्न में उल्लेख किया गया है, तो ऐसा करना जायज़ (अनुमेय) नहीं है। यद्यपि ऐसा करने वाला अपने ऊपर छति पहुँचने से निश्चिंत हो, परंतु इस व्यवहार पर निष्कर्षित होने वाले दुष्परिणाम बहुत हैं, जैसे - ऐसी संपत्ति का विनाश जिसे नष्ट करना वैद्ध नहीं है, तथा घटना की जांच के क्रम में निर्दोषों को आरोपित करना, उनसे पूछताछ करना और उन्हें प्रताड़ित करना। फिर यह भी हो सकता है कि क्लबों के मालिक अपने दुष्ट काम से बाज़ न आयें और उसे फिर से बनाने का प्रयास करें, और यही सबसे से अधिक संभावित है। अतः ऐ उत्साही भाई! परिणाम के बारे में सोच-विचार किए बिना बुराई को बदलने में जल्दबाज़ी करने से सावधान रहें। आप ने यह प्रश्न पूछकर बहुत अच्छा किया ताकि आप अपने मामले में स्पष्ट परिणाम पर रहें, और यह स्पष्टीकरण प्राप्त हो गया। और अल्लाह तआला ही सीधे पथ का मार्गदर्शक है।