हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
रोज़ेदार के लिए ज़रुरत पड़ने पर खाना चखने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, इस प्रकार कि वह उसे अपनी ज़बान के किनारे पर लगाए, फिर उसे थूक दे और अपने मुँह से बाहर निकाल दे और उसमें से कुछ भी न निगले। चाहे रोज़ा रखने वाला आदमी हो या महिला।
लेकिन अगर रोज़ेदार भूलकर उसमें से कुछ निगल जाए, तो उसपर कोई गुनाह नहीं है और उसे अपना रोज़ा पूरा करना चाहिए। क्योंकि शरीयत में भूलनेवाले व्यक्ति के क्षम्य होने को इंगित करने वाले प्रमाणों का अर्थ सामान्य है। तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : "जो कोई भूलकर खा ले या पी ले और वह रोज़ेदार हो, तो उसे अपना रोज़ा पूरा करना चाहिए, क्योंकि उसे अल्लाह ने खिलाया और पिलाया है।” (सही बुख़ारी, हदीस संख्या : 1399, मुस्लिम, हदीस संख्या : 1155)।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।