हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
गर्भनिरोध की इस विधि का उपयोग करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है, जो बाँह के नीचे एक चिप रखने पर आधारित है, जो एक हार्मोन को स्रावित करती है जो गर्भाशय ग्रीवा के चारों ओर श्लेष्म द्रव की मोटाई बढ़ाता है, जिससे शुक्राणु को अंडे तक पहुँचने से रोका जा सकता है।
पत्रिका ‘हिया’ (Hia) की वेबसाइट पर कहा गया है :
"यह चिप गर्भावस्था को रोकने में 99 प्रतिशत तक प्रभावी है, अगर इसे सही तरीके से उपयोग और प्रत्यारोपित किया जाए। क्योंकि यह गर्भ निरोधक चिप लगाने के बाद इस तरह से काम करती है कि वह हार्मोन प्रोजेस्टोजन छोड़ती (स्रावित करती) है, जो रक्त में पाए जाने वाले प्राकृतिक हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का एक विकल्प है, जो प्रति माह अंडे के उत्पादन को कम कर देता है। इसी तरह यह गर्भाशय ग्रीवा के आसपास बलगम के घनत्व को भी बढ़ाता है और और शुक्राणु को अंडे तक पहुँचने से रोकता है।
दूसरा तरीक़ा यह है कि : यह हार्मोन गर्भाशय की परत को कमज़ोर करने का काम करता है, जिससे वह निषेचित अंडे को सहारा देने में असमर्थ हो जाता है।'' उद्धरण समाप्त हुआ।
यह विधि साइड-इफेक्ट्स से मुक्त नहीं है, जैसे कि मासिक धर्म चक्र में व्यवधान (अनियमितता)। तथा कुछ महिलाएँ आंतरायिक रक्तस्राव से पीड़ित हो सकती हैं जो लंबे समय तक चलता रहता है।
यदि किसी महिला को कुछ समय के लिए गर्भ को रोकने की आवश्यकता है, तो उसे ऐसे विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए, जिसका ज्ञान और अनुभव विश्वसनीय हो, जो उसकी स्थिति और उसकी सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों को जानता हो।
फिर, उसके बाद, इस चिप के प्रभावों को देखना चाहिए। यदि इससे होने वाला नुकसान इसके इस्तेमाल से होने वाले लाभ से कम है, तो ऐसी स्थिति में इसके इस्तेमाल में कोई हर्ज नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।