शुक्रवार 21 जुमादा-1 1446 - 22 नवंबर 2024
हिन्दी

सूरतुल-फातिह़ा के अवतिरत होने का समय

प्रश्न

सूरतुल-फातिहा का अवतरण कब हुआॽ क्या यह अल्लाह तआला के दुनिया वालों पर नमाज़ फर्ज़ करने के बाद अवतरित हुई या उससे पहलेॽ मुझे सिर्फ निर्धारण चाहिए।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

अधिकतर विद्वानों के दृष्टिकोण के अनुसार, सूरतुल-फातिहा मक्की सूरतों में से है। विद्वानों ने इसके मक्की होने पर कई चीजों को प्रमाण बनाया है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :

1- इस कथन पर बहुत-से सही प्रमाण एकत्रित हैं, उन्हीं में से अल्लाह सर्वशक्तिमान का यह फरमान है :

وَلَقَدْ آتَيْنَاكَ سَبْعًا مِنَ الْمَثَانِي وَالْقُرْآنَ الْعَظِيمَ [الحجر :87].

“निःसंदेह हमने आपको बार-बार दोहराई जाने वाली सात आयतें और महान क़ुरआन प्रदान किया है।” (सूरतुल-ह़िज्र : 87) और यह सूरतुल-हिज्र की एक आयत है, जो सर्वसम्मति से एक मक्की सूरत है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सात बार-बार पढ़ी जाने वाली आयतों की व्याख्या सूरतुल-फातिहा से की है। तो इससे यह आवश्यक हो जाता है कि सूरतुल-फातिहा मक्का में अवतरित हुई।

2- नमाज़ मक्का में फ़र्ज़ (अनिवार्य) हुई और उसके बिना नमाज़ सही (मान्य) नहीं होती है।

बल्कि कुछ विद्वान इस बात की ओर गए हैं कि सूरतुल-फातिहा सबसे पहले उतरने वाली चीज़ (सूरत) है। लेकिन यह बात कमज़ोर है।

इब्ने तैमिय्यह ने कहा : “बिना किसी संदेह के फातिहतुल-किताब (सूरतुल-फातिहा) मक्का में अवतरित हुई ...

और जिन लोगों ने यह कहा है कि : सूरतुल-फातिहा मदीना में अवतरित हुई थी : उनकी बात निश्चित रूप से गलत है।”

“मजमूउल-फतावा” (17 / 190-1991) से उद्धरण समाप्त हुआ।

सूरतुल-फातिहा के मक्की होने को अनुसंधानकर्ता विद्वानों के एक समूह ने राजेह करार दिया है, जैसे कि इब्ने तैमिय्यह, इब्ने कसीर, इब्ने ह़जर, अल-बैज़ावी, अल-कवाशी और अन्य।

देखें : अब्दुर-रज़्ज़ाक़ हुसैन की पुस्तक “अल-मक्की वल-मदनी” (1 / 446-468)।

दूसरी बात :

अल्लामा “क़ुर्तुबी” ने “अल-जामिओ लि-अहकामिल क़ुरआन” (1/115) में कहते हैं : “इस बात में कोई मतभेद नहीं है कि नमाज़ मक्का में फर्ज़ की गई थी। और यह बात कहीं भी संरक्षित नहीं है कि इस्लाम में कभी कोई नमाज़ “अल-ह़म्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन” के बिना भी थी। इसका प्रमाण नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का यह फरमान है : “सूरतुल-फ़ातिहा के बिना कोई नमाज़ नहीं है।” और यह हुक्म के बारे में बताया गया है, न कि शुरुआत के बारे में, और अल्लाह ही बेहतर जानता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर