हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
विद्वानों ने इस बारे में मतभेद किया है कि हज्ज किस वर्ष अनिवार्य हुआ। चुनाँचि एक कथन के अनुसार पांचवे वर्ष में,और एक दूसरे कथन के अनुसार छठे वर्ष में, और तीसरे कथन के अनुसार नवें वर्ष में तथा एक अन्य कथन के अनुसार दसवें वर्ष में हज्ज अनिवार्य हुआ। और इनमें शुद्धता के सबसे क़रीब अंतिम दो कथन हैं और वह यह कि उसकी अनिवार्यता नवें या दसवें वर्ष में हुई। (इसका प्रमाण अल्लाह तआला का यह फरमान है: "अल्लाह तआला ने उन लोगों पर जो उस तक पहुँचने का सामर्थ्य रखते हैं इस घर का हज्ज करना अनिवार्य कर दिया है।" (सूरत आल-इम्रान: 97)
इस आयत के अंदर हज्ज की अनिवार्यता का वर्णन किया गया है और यह आयत वफदों (प्रतिनिधिमंडल) के आगमन के साल नवें वर्ष में अवतरित हुई।इस प्रकार हज्ज की अनिवार्यता नवें वर्ष के अंतिम भाग में हुई। देखिये: ज़ादुल मआ़द 3/595)
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
तथा अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला है।