हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि कोई व्यक्ति रोज़े की अवस्था में रमज़ान में दिन के दौरान सुर्मा लगाता है, तो यह उसके रोज़े को खराब (अमान्य) नहीं करता है। लेकिन अगर वह अपने गले में इसका प्रभाव महसूस करता है, तो उसके लिए अधिक सावधानी का पहलू यह है कि उस रोज़े की क़ज़ा करे। तथा उसके लिए बेहतर यह है कि दिन के दौरान अपने रोज़े की हालत में सुर्मा का उपयोग न करे।
अगर कोई व्यक्ति रोज़े की हालत में रमजान में दिन के समय अपने सिर में तेल लगाता है, तो इससे उसका रोज़ा अमान्य नहीं होता है।
और अल्लाह ही तौफ़ीक़ (सामर्थ्य) प्रदान करने वाला हैं