रविवार 21 जुमादा-2 1446 - 22 दिसंबर 2024
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यदि अपनी पत्नी के साथ संभोग करते समय फ़ज्र की अज़ान हो जाए

प्रश्न

यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ संभोग कर रहा हो और फ़ज्र की अज़ान हो जाए तो क्या हुक्म हैॽ क्या उसे अपनी आवश्यकता पूरी होने तक जारी रखना चाहिए, या अज़ान सुनते ही उसे संभोग करना बंद कर देना चाहिएॽ कृपया हमें शरई हुक्म से सूचित करें, अल्लाह आपको पुण्य प्रदान करे।

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

यदि फ़ज्र उदय हो जाए और वह अपनी पत्नी के साथ संभोग कर रहा हो, तो उसे तुरंत संभोग करना बंद कर देना चाहिए और उसका रोज़ा सही है और उसे कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है। उसके लिए फ़ज्र उदय होने के बाद संभोग करना जायज़ नहीं है। यदि वह ऐसा करता है, तो उसने अपना रोज़ा भ्रष्ट (अमान्य) कर दिया, और उसपर कफ़्फ़ारा देने के साथ-साथ उस दिन के रोज़े की क़ज़ा करना (भी) वाजिब है।

कफ़्फ़ारा यह है कि वह एक गुलाम को आज़ाद करे। यदि वह ऐसा न कर सके, तो लगातार दो महीने तक रोज़ा रखे। यदि वह ऐसा करने में समर्थ न हो, तो साठ गरीबों को भोजन कराए। प्रश्न संख्या : (1672 ) देखें।

लेकिन यह फ़ज्र के उदय होने के बारे में है। जहाँ तक मुअज़्ज़िन की अज़ान की बात है :

तो यदि मुअज़्ज़िन फज्र के उदय होने के साथ ही अज़ान देता है, तो उसे मात्र अज़ान सुनते ही संभोग करना बंद कर देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो उसे ऊपर बताए अनुसार कफ़्फ़ारा (प्रायश्चित्त) देने के साथ-साथ रोज़े की क़ज़ा भी करनी होगी।

यदि मुअज़्ज़िन फ़ज्र उदय होने से पहले अज़ान देता है, जैसा कि कुछ मुअज़्ज़िन ग़लत प्रयास करते हैं और वे अपने दावे के अनुसार रोज़े के लिए एहतियात के तौर पर ऐसा करते हैं, तो तब तक संभोग जारी रखना जायज़ है जब तक यह निश्चित न हो जाए कि फ़ज्र उदय हो गई है।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से यह प्रश्न पूछा गया:

अगर कोई रोज़ेदार फज्र की अज़ान सुनने के बाद कुछ पी ले, तो क्या उसका रोज़ा सही (मान्य) हैॽ

तो उन्होंने जवाब दिया :

''अगर रोज़ेदार फज्र की अज़ान सुनने के बाद कुछ पीता है, तो अगर मुअज़्ज़िन यह सुनिश्चित करने के बाद अज़ान देता है कि सुबह हो गई है, तो रोज़ेदार के लिए उसके बाद कुछ भी खाना या पीना जायज़ नहीं है। लेकिन अगर वह सुबह स्पष्ट होने से पहले अज़ान देता है, तो सुबह स्पष्ट होने तक खाने-पीने में कोई हर्ज नहीं, क्योंकि अल्लाह का फरमान है :

فَالآنَ بَاشِرُوهُنَّ وَابْتَغُوا مَا كَتَبَ اللَّهُ لَكُمْ وَكُلُوا وَاشْرَبُوا حَتَّى يَتَبَيَّنَ لَكُمْ الْخَيْطُ الْأَبْيَضُ مِنْ الْخَيْطِ الأَسْوَدِ مِنْ الْفَجْرِ

"तो अब तुम उनसे (रात में) सहवास करो और जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए लिखा है उसे तलब करो, तथा खाओ और पियो, यहाँ तक कि तुम्हारे लिए भोर की सफेद धारी रात की काली धारी से स्पष्ट हो जाए।” [सूरतुल-बक़रा : 187]

तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "बिलाल रात में अज़ान देते हैं। इसलिए तब तक खाओ और पियो जब तक कि तुम इब्ने उम्मे मकतूम की अज़ान न सुन लो। क्योंकि वह अज़ान नहीं देते यहाँ तक कि फ़ज्र उदय हो जाए।”

इसलिए मुअज्जिनों को चाहिए कि वे फज्र की अज़ान के बारे में सावधान रहें और उस वक़्त तक अज़ान न दें जब तक कि उनके लिए फज़्र स्पष्ट न हो जाए या उन्हें सही घड़ियों के अनुसार फज्र के उदय होने का यक़ीन न हो जाए। ताकि ऐसा न हो कि वे लोगों को धोखा में डाल दें और उन्हें उस चीज़ से वंचित कर दें जो अल्लाह ने उनके लिए वैध ठहराया है, तथा उनके लिए फज्र की नमाज़ को उसके समय से पहले पढ़ना वैध कर दें। यह वास्तव में बहुत गंभीर मामला है।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“फतावा इस्लामिया” (1/122)

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर