हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
बुरी नज़र सत्य है, जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें बताया है। और उससे बचाव, शरई रुक़्या (इस्लामिक पद्वति अनुसार झाड़-फूँक) और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित दुआओं के माध्यम से होगा। उन तावीज़ों और गंडों के द्वारा नहीं होगा जिन्हें ठगविद्या और धोखाधड़ी करने वाले और तांत्रिक लिखकर देते हैं। बुरी नज़र की वास्तविकता और इससे बचाव के तरीक़ों के बारे में अधिक जानकारी के लिए प्रश्न संख्या : (20954) और (11359) देखें।
बुरी नज़र या जादू से बचाव के उद्देश्य के लिए पत्थर रखना या तावीज़ पहनना, तावीज़ लटकाने के शीर्षक के अंतर्गत आता है जो निषिद्ध है। उक़बा बिन आमिर अल-जुहनी रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास एक समूह आया। तो आपने उनमें से नौ लोगों से बैअत (निष्ठा की शपथ) स्वीकार की और एक आदमी को छोड़ दिया। तो उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, आपने नौ लोगों से बैअत (निष्ठा की शपथ) स्वीकार की और इसको छोड़ दिया। आपने कहा : "वह एक तावीज़ पहने हुए है।" तो उसने अपना हाथ अंदर डाला और उसे तोड़ दिया। फिर आपने उसकी बैअत (निष्ठा की शपथ) स्वीकार की और फरमाया : "जिसने कोई तावीज़ लटकाई, उसने दूसरों को अल्लाह के साथ शिर्क किया।" इसे अहमद (हदीस संख्या : 16781) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने अस-सिलसिला अस-सहीहा (हदीस संख्या : 492) में इसे सहीह कहा है।
तथा अहमद ने उक़बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु से यह भी रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को यह फरमाते हुए सुना कि : "जिसने कोई तावीज़ लटकाई, अल्लाह उसकी इच्छा पूरी न करे, और जिसने घोंघा (कौड़ी) लटकाया, अल्लाह उसे आराम व चैन नसीब न करे।” इस हदीस को अरनऊत ने अपनी अल-मुसनद की तहक़ीक़ में हसन कहा है।
घोंघा (कौड़ी) : ये समुद्र से लिए गए पत्थर हैं जिन्हें वे बुरी नज़र को दूर करने के लिए लटकाते थे।
खत्ताबी रहिमहुल्लाह ने कहा : “तावीज़” कहा जाता है कि यह मनका (मोहरा) है जिसे वे इस मान्यता के साथ लटकाते थे कि वह विपत्तियों को दूर कर देता है।
बग़वी रहिमहुल्लाह ने कहा : “तावीज़ें : ये मनके हैं जिन्हें अरब के लोग अपने बच्चों पर लटकाते थे यह दावा करते हुए कि वे उनके द्वारा बुरी नज़र से बचते हैं। तो शरीअत ने उसे अमान्य घोषित कर दिया।” “अत-तारीफ़ात अल-एतिक़ादिय्यह” (पृष्ठ 121)
विद्वानों के दो मतों में से सही मत यह है कि तावीज़ हराम (वर्जित व निषिद्ध) है, चाहे वह क़ुरआन की आयतों से ही क्यों न हो। तथा प्रश्न संख्या (10543) देखें। जहाँ तक उस तावीज़ की बात है जो अज्ञात अक्षरों और शब्दों पर आधारित है, तो उसके हराम (निषिद्ध) होने में कोई मतभेद नहीं है। और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह जादू नहीं हैं या उसमें जिन्न की मदद नहीं ली गई है।
तीसरा :
तावीज़ और जादू के मिलने पर उससे छुटकारा पाने का तरीक़ा : यह है कि - यदि गांठें पाई जाएँ – तो उन्हें खोल दिया जाए और उनके भागों को एक दूसरे से अलग कर दिया जाए, फिर उन्हें जलाकर नष्ट कर दिया जाए। क्योंकि ज़ैद बिन अर्क़म रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस से प्रमाणित है कि उन्होंने कहा : “एक यहूदी व्यक्ति पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया करता था और आप उस पर भरोसा करते थे। उसने आपके लिए कुछ गाँठें बाँध दीं और उन्हें अंसार के एक व्यक्ति के एक कुएँ में डाल दिया। इसके कारण आप कई दिनों तक बीमार रहे। आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस में है (आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम छह महीने तक बीमार रहे)। फिर दो फ़रिश्ते आपसे मिलने आए। उनमें से एक आपके सिर के पास और दूसरा आपके पैरों के पास बैठा। उनमें से एक ने कहा : "क्या तुम्हें पता है कि इनको क्या बीमारी हैॽ” उसने कहा : “अमुक व्यक्ति जो उनके पास आता था, उसने उनके लिए कुछ गाँठें बांध दी हैं और उन्हें अमुक अंसारी के कुएं में फेंक दिया है। यदि वह किसी आदमी को वहाँ भेजें और वह उससे गाँठो को बाहर निकाले तो वह पाएगा कि पानी पीला हो गया है। फिर आपके पास जिबरील अलैहिस्सलाम आए और आप पर मुअव्वज़तैन (सूरतुल-फ़लक़ और सूरतुन-नास) का अवतरण हुआ और उन्होंने बताया : एक यहूदी व्यक्ति ने आपको जादू कर दिया है और जादू अमुक आदमी के कुएं में है। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अली रज़ियल्लाहु अन्हु को भेजा, तो उन्होंने पाया कि पानी पीला हो गया था। वह गाँठों को लेकर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास लेकर आए। तो उन्होंने आपको निर्देश दिया कि गाँठो को खोलें और क़ुरआन की एक आयत पढ़ें। चुनाँचे आपने क़ुरआन पढ़ना और गाँठों को खोलना शुरू कर दिया। तो जब भी आप कोई गाँठ खोलते, तो उसके कारण आप राहत अनुभव करते, इस तरह आप पूरी तरह से ठीक हो गए।” इसे अल्बानी ने “अस-सिलसिला अस-सहीहा” (6/615) में उल्लेख किया है और इसे हाकिम (4/460), नसाई (2/172), अहमद (4/367) और तबरानी की ओर मनसूब किया है।
शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “जादूगर ने जो किया है उसे देखा जाएगा। यदि पता चल जाए कि उसने उदाहरण के तौर पर किसी स्थान पर कुछ बाल रखे हैं, या उसे कंघियों वगैरह में में रखा है। यदि यह ज्ञात हो कि उसने इसे एक निश्चित स्थान पर रखा है, तो उसे वहाँ से निकालकर जला दिया जाएगा ओर नष्ट कर दिया जाएग। इस तरह उसका प्रभाव समाप्त हो जाएगा और जो कुछ जादूगर ने चाहा था वह निरस्त हो जाएगा।” शैख इब्ने बाज़ का “मजमूओ फतावा व मक़ालात” (8/144).
अतः आपके पिता के पास जो कागज़ है, उससे इस तरीक़े से छुटकारा पाया जाए कि उसे फाड़ कर जला दिया जाए, साथ ही उन्हें याद दिलाना चाहिए कि वह तावीज़ों को लटकाने और उससे लगाव रखने से अल्लाह के समक्ष तौबा करें।
तथा अल्लाह सबसे अधिक ज्ञान रखता है।