हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।अल्लाह सर्वशक्तिमान या धर्म को गाली देना (बुरा भला कहना, अपमान करना) महा पाप है जो धर्म से निष्कासित कर देता है, अल्लाह तआला ने फरमाया :
قُلْ أَبِاللّهِ وَآيَاتِهِ وَرَسُولِهِ كُنتُمْ تَسْتَهْزِؤُونَ لاَ تَعْتَذِرُواْ قَدْ كَفَرْتُم بَعْدَ إِيمَانِكُمْ [التوبة : 65-66]
“आप कह दीजिए, क्या तुम अल्लाह, उसकी आयतों और उस के रसूल का मज़ाक़ उड़ाते थे ॽअब बहाने न बनाओ,निःसन्देह तुम ईमान के बाद (फिर) काफिर हो गए।” (सूरतुत्तौबाः 65-66)
आपके ऊपर अनिवार्य यह है कि इस गाली देने वाले को नसीहत करें, उसे समझायें और इस बात से डरायें कि उसके नेक कार्य नष्ट हो गए, और उसने - यदि तौबा नहीं किया - तो अल्लाह तआला से बड़े कुफ्र के साथ मिलेगा।
तथा उसे इस बात से अवगत करा दें कि दुनिया में उसकी सज़ा जिसका वह अधिकृत है वह क़त्ल है।नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जो व्यक्ति अपने धर्म को बदल दे उसे क़त्ल कर दो।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 3017) ने रिवायत किया है।
तथा आप उसे बतायें कि उसके लिए इस्लाम की ओर वापस लौटना अनिवार्य है और यह कि यदि वह इस्लाम में वापस आ जाता है और तौबा (पश्चाताप) कर लेता है तो अल्लह तआला उसकी तौबा को स्वीकार कर लेगा।
यदि वह इस बात को मान लेता है तो उसने अच्छा किया,और यदि उसने इसे नकार दिया तो आपके लिए उसके साथ रहना जाइज़ नहीं है जबकि वह दीन को गाली दे रहा है।
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से ऐसे लोगों के बीच रहने के बारे में प्रश्न किया गया जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को गाली देते हैं।
तो उन्हों ने उत्तर दिया :
“ऐसे लोगों के बीच रहना जाइज़ नहीं है जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को गाली देते हैं,क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
وَقَدْ نَزَّلَ عَلَيْكُمْ فِي الْكِتَابِ أَنْ إِذَا سَمِعْتُمْ آَيَاتِ اللَّهِ يُكْفَرُ بِهَا وَيُسْتَهْزَأُ بِهَا فَلا تَقْعُدُوا مَعَهُمْ حَتَّى يَخُوضُوا فِي حَدِيثٍ غَيْرِهِ إِنَّكُمْ إِذًا مِثْلُهُمْ إِنَّ اللَّهَ جَامِعُ الْمُنَافِقِينَ وَالْكَافِرِينَ فِي جَهَنَّمَ جَمِيعًا [النساء :140]
“और अल्लाह तआला ने तुम पर अपनी किताब (पवित्र क़ुरआन) में यह हुक्म उतारा है कि जब तुम अल्लाह की आयतों के साथ कुफ्र (इंकार) और मज़ाक होते सुनो तो उनके साथ उस सभा में न बैठो,जब तक कि वे दूसरी बात में न लग जायें, क्योंकि इस स्थिति में तुम उन्हीं के समान होगे,बेशक अल्लाह तआला मुनाफिक़ों (पाखंडियों) और काफिरों (नास्तिकों) को जहन्नम में इकट्ठा करने वाला है।” (सूरतुन निसा : 140)और अल्लाह तआलम ही तौफीक़ देने वाला है।” अंत हुआ।
“मजमूओ फतावा शैख इब्ने उसैमीन” (2/प्रश्न संख्या : 238).
इस बात को जान लें कि बुरे लोगों की संगत से बुराई ही जन्म लेती है,अतः अपने आपको उस से बचाने के लालायित बनें,नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बुराई वाले की उपमा धौंकनी फूँकने वाले व्यक्ति से दी है,वह या तो आपके कपड़े को जला देगा और या तो आप उससे दुर्गंध पायें गे।
अबू मूसा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया कि आप ने फरमाया : “अच्छे साथी और बुरे साथी का उादाहरण कस्तूरी (सुगंध) वाहक और लोहार की भट्टी धौंकने वाले के समान है,कस्तूरी (सुगंध) का वाहक या तो आपको भेंट कर देगा,और या तो आप उस से खरीद लेंगे,और या तो आप उससे अच्छी सुगंध पायेगें, रही बात लोहार की भट्टी धौंकने वाले की, तो या तो वह आपके कपड़े जला देगा,और या तो आपको उससे दुर्गंध मिलेगी। इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5543) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2628) ने रिवायत किया है।
इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“इस हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अच्छे साथी का उदाहरण कस्तूरी के वाहक से और बुरे साथी का उदाहरण लोहार की भट्टी धौंकने वाले से दी है, इसके अंदर पुनीत व सदाचारी लोगों,भलाई,मुरूवत, शिष्टाचार, अच्छी नैतिकता,धर्मपरायणता,ज्ञान और सभ्यता वालों के साथ बैठने की प्रतिष्ठा,तथा बुराई वालों, बिदअतों (नवाचार) वालों, लोगों की चुगली (पिशुनता) करने वालों या जिस व्यक्ति की बुराई और निरर्थकता बाहुल्य है और इनके समान अन्य बुरे प्रकार के लोगों साथ बैठने का निषेद्ध है।” अंत
शरह मुस्लिम (16/178).
सरांश : यह कि आप के ऊपर अनिवार्य है कि अपने साथ रहने वाले इस व्यक्ति को नसीहत करें,वह दीन को गाली देने के कारण महा कुफ्र में पड़ गया, और जब उसने आपको गाली दी तो एक महा पाप किया, यदि वह आपकी नसीहत को स्वीकार कर ले और अपने आपको सुधार ले तो आप उसके साथ बाक़ी रहें और उसकी उसके ऊपर सहायता करें,और यदि वह आपकी बात को स्वीकार न करे तो उसके साथ रहने में आपके लिए कोई भलाई नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।