हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
इन चीज़ों को बेचने के हुक्म के विषय में कुछ विस्तार है :
1- यदि आप इन वस्तुओं को किसी ऐसे व्यक्ति को बेचते हैं, जिसके प्रति आपको ज्ञान है कि वह उन्हें हराम श्रृंगार-प्रदर्शन में इस्तेमाल करेगा, तो यह जायज़ नहीं है।
2- यदि आप उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को बेचते हैं, जिसके प्रति आपको ज्ञान है कि वह उन्हें अनुमेय श्रृंगार के लिए इस्तेमाल करेगा, तो यह जायज़ है।
3- यदि आप खरीदार के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, तो उन्हें उसे बेचने की अनुमति है।
स्थायी समिति से यह प्रश्न किया गया :
महिलाओं के अलंकरण का व्यापार करने और उन्हें किसी ऐसी महिला को बेचने का क्या हुक्म है, जिसके बारे में विक्रेता जानता है कि वह उन्हें गली-सड़कों पर गैर-महरम पुरुषों के सामने श्रृंगार-प्रदर्शन के रूप में पहनेगी, जैसा कि वह अपने सामने उसकी स्थिति से देख सकता है, और जैसा कि कुछ देशों में यह स्थिति व्याप्त है?
तो स्थायी समिति ने उत्तर दिया :
‘‘इन वस्तुओं को बेचना जायज़ नहीं है, यदि व्यापारी के संज्ञान में है कि जो इन्हें खरीद रहा है, वह इनका उपयोग ऐसी चीज़ में करेगा जिसे अल्लाह ने निषिद्ध ठहराया है; क्योंकि यह गुनाह और सरकशी में एक तरह का सहयोग है। परंतु अगर वह जानता है कि खरीदार उन्हें अपने पति के सामने श्रृंगार करने के लिए प्रयोग करेगी, या वह (खरीदार के प्रति) कुछ भी नहीं जानता, तो ऐसी स्तिथि में उसके लिए इन वस्तुओं का व्यापार करना जायज़ है।’’ उद्धरण समाप्त हुआ।
फतावा अल-लजना अद-दाइमह (13/67)
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।