हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
यदि ईद का दिन जुमा के दिन पड़ जाए तो जिस व्यक्ति ने इमाम के साथ ईद की नमाज़ पढ़ी है उसके ऊपर से जुमा की नमाज़ में उपस्थित होने की अनिवार्यता समाप्त हो जाती है, जबकि उसके हक़ में जुमा की नमाज़ में उपस्थित होना सुन्नत बाक़ी रहता है। यदि वह जुमा की नमाज़ में उपस्थित नहीं होता है तो उसके ऊपर ज़ुहर की नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है। और यह इमाम के अलावा अन्य लोगों के हक़ में है। जहाँ तक इमाम की बात है तो उसके ऊपर अनिवार्य है कि वह जुमा के लिए उपस्थित हो और उसके साथ जो मुसलमान उपस्थित हुए हैं उन्हें जुमा की नमाज़ पढ़ाए, तथा इस दिन जुमा की नमाज़ को पूरी तरह छोड़ा नहीं जायेगा।